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Rajasthan बनेगा साइबर सिक्योरिटी में अग्रणी राज्य: कर्नल राज्यवर्धन राठौड़

जयपुर, 3 मई 2025। राजस्थान साइबर सिक्योरिटी (cyber security) के क्षेत्र में आत्मनिर्भर और सुरक्षित भविष्य की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है।

IT मंत्री कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ की अध्यक्षता में योजना भवन, जयपुर में एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई,

जिसमें साइबर सिक्योरिटी (cyber security) को और अधिक मजबूत बनाने पर चर्चा हुई।

कर्नल राठौड़ ने कहा कि साइबर सुरक्षा (cyber security) केवल तकनीकी उपायों तक सीमित नहीं है।

इसके लिए ‘पीपल, प्रोसेस और टेक्नोलॉजी’ का संतुलित समन्वय आवश्यक है।

हमें स्वदेशी तकनीक को प्राथमिकता देनी होगी ताकि विदेशी निर्भरता कम की जा सके और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती मिले।

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Cyber Security के लिए प्रशिक्षित मानव संसाधन अनिवार्य

राठौड़ ने कहा कि प्रशिक्षित कार्मिक साइबर सुरक्षा (cyber security) की रीढ़ होते हैं।

इसलिए विभाग में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों को संरचित एवं असंरचित ट्रेनिंग प्रोग्राम्स के माध्यम से दक्ष बनाया जाएगा।

उन्होंने कहा कि इसके लिए विशेष बजट प्रावधान किए जाएंगे और नियमित जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।

Cyber Security IT विभाग का लक्ष्य

राजस्थान का आईटी विभाग आने वाले समय में पूरे देश में मॉडल के रूप में स्थापित होगा।

उन्होंने भामाशाह डेटा सेंटर का उदाहरण देते हुए कहा कि

यह देश के सबसे सुरक्षित और उन्नत डेटा केंद्रों में शामिल है,

जो साइबर खतरों से प्रभावी सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है।

बैठक में शामिल साइबर सुरक्षा (cyber security) विशेषज्ञ कर्नल निधीश भटनागर ने कहा कि साइबर अपराधी हर दिन ज्यादा चालाक हो रहे हैं।

ऐसे में आईटी से जुड़े हर व्यक्ति को अप-टू-डेट और सतर्क रहना होगा।

कर्नल राठौड़ ने बैठक में मानव संसाधन के विकास पर विशेष जोर दिया।

उन्होंने कहा कि साइबर सिक्योरिटी से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों की दक्षता बढ़ाने के लिए संरचित और असंरचित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

उन्होंने कहा कि हर दिन प्रशिक्षण, जागरूकता का विस्तार और ग्रूमिंग होनी चाहिए।

इसके लिए पर्याप्त बजट प्रावधान भी किए जाएंगे, जिससे सर्टिफाइड ट्रेनिंग प्रोग्राम्स के माध्यम से कर्मचारियों की क्षमता को और निखारा जा सके।

इससे न केवल कर्मचारियों की तकनीकी दक्षता बढ़ेगी, बल्कि उनकी पेशेवर मूल्यवृद्धि भी होगी।

साथ ही कार्य संस्कृति में सुधार होगा, जो दीर्घकालिक रूप से विभाग की कार्यक्षमता को बढ़ाएगा।

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