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केदारनाथ हेलिकॉप्टर हादसा: जयपुर के पायलट राजवीर सिंह का पार्थिव शरीर आज पहुंचेगा घर, परिवार और दोस्तों में शोक की लहर

  • उत्तराखंड के केदारनाथ में रविवार सुबह हुए हेलीकॉप्टर हादसे में जयपुर के पायलट राजवीर सिंह की मौत हो गई।
  • उनके बड़े भाई चंद्रवीर सिंह ने शव की पहचान राजवीर की घड़ी और अंगूठी देखकर की।
  • पहचान के बाद भी पुलिस ने डीएनए जांच के लिए भाई का सैंपल लिया है ताकि पुष्टि की जा सके।
Kedarnath Helicopter Crash - Rajveer Singh Identified | www.firstrajasthan.com

उत्तराखंड के केदारनाथ में गौरीकुंड के पास रविवार सुबह हुए हेलीकॉप्टर हादसे में जान गंवाने वाले जयपुर निवासी पायलट राजवीर सिंह चौहान की पहचान उनके बड़े भाई ने सोमवार को की। शिनाख्त का यह क्षण बेहद भावुक था- राजवीर के हाथ में बंधी घड़ी और पहनी हुई अंगूठी देखकर चंद्रवीर सिंह चौहान ने उन्हें तुरंत पहचान लिया।

राजवीर का शव मंगलवार को उनके पैतृक घर पहुंचेगा, जहां अंतिम दर्शन के बाद अंतिम संस्कार किया जाएगा। प्रशासनिक औपचारिकताओं के बाद भाई चंद्रवीर शव लेकर रुद्रप्रयाग से जयपुर रवाना हो गए हैं।

डीएनए जांच के लिए सैंपल लिया गया

हालांकि शरीर की स्थिति को देखते हुए पुलिस ने पहचान को पुष्ट करने के लिए चंद्रवीर सिंह का डीएनए सैंपल भी लिया है। पोस्टमॉर्टम की औपचारिकता के बाद शव को परिजनों को सौंपा गया। जैसे ही राजवीर की खबर पहुंची, सर्विस के दिनों में बने कई साथी भी रुद्रप्रयाग पहुंचे और अंतिम विदाई देने में शामिल हुए।

अंतिम उड़ान से पहले दी थी चेतावनी

राजवीर उस दिन सबसे आगे उड़ रहे हेलीकॉप्टर को ऑपरेट कर रहे थे। बड़े भाई चंद्रवीर बताते हैं कि वापसी के दौरान वह 9 हजार फीट की ऊंचाई पर थे और मौसम काफी खराब हो चला था। टीम में उनके अनुभव को देखते हुए ही उन्हें लीडिंग पायलट की जिम्मेदारी दी गई थी। उन्होंने पीछे उड़ रहे दूसरे पायलट को मौसम की खराबी के बारे में पहले ही अपडेट दे दिया था।
यह जानकारी हादसे से पहले उनकी सतर्कता को दर्शाती है, लेकिन प्रकृति का कहर उस चेतावनी से भी अधिक भारी साबित हुआ।

चार माह पहले बने थे पिता

राजवीर सिंह चौहान सेना से लेफ्टिनेंट कर्नल के पद से रिटायर हुए थे और बीते नौ महीनों से आर्यन एविएशन प्राइवेट लिमिटेड में बतौर पायलट कार्यरत थे। उनकी पत्नी दीपिका भी सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल हैं। करीब 14 साल पहले शादी हुई थी और चार महीने पहले ही उनके घर जुड़वां बच्चों का जन्म हुआ था।
घर पर अब माहौल बेहद गमगीन है। पत्नी दीपिका, माता-पिता और रिश्तेदारों का रो-रोकर बुरा हाल है। राजवीर के पिता ने कहा, “हम पर वज्र गिर गया है, सब कुछ जैसे खत्म हो गया हो।”

सेवा, समर्पण और विदाई

राजवीर का सफर एक फौजी अधिकारी से केदारनाथ के तीर्थ यात्रियों को सुरक्षित पहुंचाने वाले पायलट तक पहुंचा। उनका यह समर्पण उनकी आखिरी उड़ान में भी दिखा, जब उन्होंने दूसरों को पहले चेताया, खुद आगे बढ़े और फिर लौट कर न आ सके।
उनकी अंतिम विदाई में केवल एक बेटा नहीं, एक कर्तव्यनिष्ठ सैनिक और सेवाभावी नागरिक को अलविदा कहा जाएगा।

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