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गंगनहर पानी संकट पर किसानों के साथ उतरे सचिन पायलट, बोले- सरकार ने आंख मूंद ली है, समाधान नहीं तो आंदोलन फैलेगा

  • सचिन पायलट ने गंगनहर के पानी को लेकर किसानों के संघर्ष का समर्थन किया।
  • किसानों को पानी की कमी से फसलों की बर्बादी और आर्थिक नुकसान हो रहा है।
  • केंद्र सरकार पर पूर्व प्रस्तावित बजट को मंजूरी न देने का आरोप लगाया गया।
Sachin Pilot Backs Farmers' Protest Over Ganganahar Water Issue, Criticizes Government Silence

गंगानगर में गर्मी वैसे ही जान निकाल रही है, ऊपर से गंगनहर का पानी ना मिलना किसानों के लिए किसी दोहरी मार से कम नहीं। बीते आठ दिनों से धरने पर डटे किसान अब आर-पार के मूड में दिख रहे हैं। 18 जून से जारी इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं विधायक रूपिंदर सिंह कुन्नर। साथ में कई छोटे-बड़े किसान संगठन भी मैदान में उतर चुके हैं। मांग बस एक है—पानी का हक़, जो उनके खेतों तक नहीं पहुंच रहा।

अब इस आंदोलन को एक बड़ा राजनीतिक सहारा भी मिल गया है। कांग्रेस नेता सचिन पायलट खुलकर किसानों के साथ खड़े हो गए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “गंगनहर के पानी को लेकर किसानों के संघर्ष का समर्थन करता हूं। सरकार इस पर मौन है, जबकि हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं।”

पायलट ने ये भी याद दिलाया कि कांग्रेस सरकार ने फिरोजपुर फीडर के लिए बजट प्रस्तावित किया था, लेकिन केंद्र से मंजूरी नहीं मिली। उसी का नतीजा है कि पानी की आपूर्ति चरमरा गई है और किसान हर सीज़न में नई मुसीबत में घिर रहे हैं।

नेताओं की मौजूदगी में तेज़ हुए तेवर

धरने की जमीन पर अब सिर्फ किसान ही नहीं, बल्कि राजनीतिक चेहरे भी नजर आ रहे हैं। सांसद कुलदीप इंदौरा, विधायक डूंगरराम गेदर, खुद कुन्नर और अन्य क्षेत्रीय नेता लगातार धरने में मौजूद हैं। किसानों के बीच इन नेताओं की मौजूदगी ने सरकार पर दबाव को थोड़ा और बढ़ा दिया है। मगर-सरकारी खेमे में अब तक कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई। ना कोई अधिकारी मौके पर पहुंचा, ना कोई नई घोषणा।

आंदोलन के फैलने की चेतावनी

धरने में अब नई भाषा सुनाई दे रही है। किसान नेताओं ने साफ कह दिया है अगर जल्द हल नहीं निकला, तो ये आंदोलन पूरे राज्य में फैलाया जाएगा। पंजाब की तरफ से पानी कम दिए जाने की बात पर भी मंच से तीखी आलोचना हुई। बीकानेर कैनाल में पानी चोरी का मुद्दा भी सामने लाया गया। एक नेता ने तो यहां तक कहा—“ये अब सिर्फ पानी की बात नहीं, राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों की किस्मत का सवाल है।”

किसान नेताओं ने कहा- गांवों में जाकर सुनिए, तो अंदाज़ा लगेगा कि ये आंदोलन सिर्फ सड़क पर चल रहा मामला नहीं है। किसान परेशान हैं। कुछ की फसलें सूख चुकी हैं, कुछ लोग फिर से बुवाई का जोखिम नहीं लेना चाहते। नहरों में पानी नाम मात्र को पहुंच रहा है, और ऊपर से तापमान 45 डिग्री पार। सरकार अगर जल्द कोई समाधान नहीं निकालती, तो हालात बेकाबू हो सकते हैं।

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