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पेरिस में प्रवासी राजस्थानियों को वासुदेव देवनानी बोले- अपनी जड़ों को सूखने न दें

  • राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने पेरिस स्थित भारतीय दूतावास में प्रवासी राजस्थानियों को संबोधित किया।
  • उन्होंने कहा कि भारत से बाहर रहकर भी भारतीय संस्कृति और मूल्यों को घरों में जिंदा रखना बेहद जरूरी है।
  • राजस्थान की तरक्की पर बात करते हुए देवनानी ने बताया कि राज्य स्टार्टअप, सौर ऊर्जा और डिजिटल विकास में आगे बढ़ रहा है।
Vasudev Devnani Urges Rajasthan NRIs in France to Preserve Their Cultural Roots

फ्रांस की राजधानी पेरिस में एक खास माहौल बना जब राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने वहां रह रहे प्रवासी राजस्थानियों से सीधे दिल की बात की। मौका था भारतीय दूतावास में आयोजित एक सांस्कृतिक समारोह का जिसमें फ्रांस में बसे कई भारतीयों ने हिस्सा लिया। देवनानी का संदेश साफ था—विदेश में रहो, मेहनत करो, तरक्की करो, लेकिन अपनी माटी की खुशबू न छोड़ो। उन्होंने बड़ी सादगी से कहा, “अपनी जड़ों को कभी सूखने न दें।” यही वो लाइन थी जिस पर तालियां भी बजीं और आंखें भी थोड़ी सी नम हो गईं।

राजस्थान की तरक्की का ज़िक्र

अपने संबोधन में देवनानी ने राजस्थान की बदलती तस्वीर भी रखी। उन्होंने बताया कि आज राजस्थान केवल रेगिस्तान या किले नहीं, बल्कि स्टार्टअप्स, इनोवेशन और डिजिटल इंडिया का मजबूत उदाहरण बन रहा है। सौर ऊर्जा हो या हरित ऊर्जा, स्मार्ट गांवों की ओर कदम हो या बेहतर पानी की योजनाएं- राज्य अब तेजी से आगे बढ़ रहा है। शिक्षा और उद्यमिता के मोर्चे पर भी राजस्थान का नाम राष्ट्रीय मंच पर गूंजने लगा है।

‘आप हैं हमारी असली ताकत’

देवनानी ने प्रवासियों को राजस्थान का गौरव बताया। उन्होंने कहा, “आप लोग सिर्फ बाहर रह रहे भारतीय नहीं हैं, आप तो वो पुल हैं जो राजस्थान को दुनिया से जोड़ते हैं।” उन्होंने मीराबाई की भक्ति, भर्तृहरि की तपस्या और महाराणा प्रताप की बहादुरी का ज़िक्र करते हुए कहा कि राजस्थान की आत्मा में यही विरासत बसी है और प्रवासी इस आत्मा को दूर-दराज़ तक जिंदा रखे हुए हैं।

सांस्कृतिक रंगों से सजा समारोह

इस कार्यक्रम में पेरिस और उसके आसपास रह रहे कई प्रवासी भारतीयों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कुछ तो जयपुर, डूंगरपुर और बांसवाड़ा जैसे इलाकों से पढ़ाई के लिए आए छात्र थे, तो कुछ छोटे कारोबारी, इंजीनियर और कलाकार। दो स्थानीय भारतीय कलाकारों ने राजस्थानी लोकसंगीत की प्रस्तुति दी, जिसने माहौल को जीवंत बना दिया। समारोह में भारत के फ्रांस में राजदूत संजीव सिंगला ने भी हिस्सा लिया और देवनानी का गर्मजोशी से स्वागत किया।

फ्रांस के बाद देवनानी की यात्रा का अगला पड़ाव था जर्मनी। शनिवार को वे बर्लिन पहुंचे जहां ओवरसीज़ भारतीय समुदाय और विभिन्न संगठनों ने उनका जोरदार स्वागत किया। कार्यक्रम में राजस्थान से जुड़े कई सांस्कृतिक पहलुओं को प्रदर्शित किया गया। देवनानी ने यहां भी प्रवासियों से जुड़ाव बनाए रखने की बात दोहराई।

हालांकि भाषण सरकारी था, लेकिन भावनाएं निजी थीं। देवनानी की बातें सुनकर कई प्रवासियों ने स्वीकार किया कि विदेश में रहते हुए भी वो दिल से राजस्थान में ही बसते हैं। एक युवा छात्र ने बाद में कहा, “देवनानी जी की बातों ने हमें याद दिलाया कि हम कहां से आए हैं और वो जड़ें कितनी कीमती हैं।” ये वो लम्हा था जब मंच से आई बात सीधे दिल में उतर गई।

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