जालोर : यादों में रह गए सामाजिक सरोकारों के पुरोधा बालू
बदलते परिवेश में जहां एक तरफ आम आदमी अपनी जरूरतों को पूरा करने में जुटा हुआ है तो वहीं दूसरी तरफ शहर की एक सख्शियत ने ना केवल सामाजिक सरोकारों का निर्वहन किया वरण समाज को भी एक संदेश देने का काम किया है।

जालोर (गौरव अग्रवाल)
बदलते परिवेश में जहां एक तरफ आम आदमी अपनी जरूरतों को पूरा करने में जुटा हुआ है तो वहीं दूसरी तरफ शहर की एक सख्शियत ने ना केवल सामाजिक सरोकारों का निर्वहन किया वरण समाज को भी एक संदेश देने का काम किया है।हम बात कर रहे है जालोर निवासी नरेंद्र बालू अग्रवाल की जिन्होंने अपना पूरा मानव जीवन सेवा को समर्पित कर ना केवल अपने कर्तव्यों का निर्वहन बल्कि सामाजिक सरोकारों को भी बखूबी निभाया।समाजसेवा में उन्होंने उन्हें आयाम आयाम स्थापित किये।नरेंद्र बालू पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ थे और शुक्रवार को अपने जीवन के संघर्ष को हार गए।उनके निधन की खबर सुनकर जालोर समेत आसपास के क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई।उन्होंने गुजरात के अहमदाबाद के निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली और शनिवार सुबह उनके पार्थिव देह का अंतिम संस्कार किया गया और वो पंचतत्व में विलीन हो गए।
ग्रेनाइट उद्योग को पनपाने के अग्रोहा-
जालोर की पहचान के प्रयाय बने ग्रेनाइट उद्योग को पनपाने में नरेंद्र बालू अग्रवाल की अहम भूमिका रही।उन्होंने वर्षो पूर्व जालोर शहर में ग्रेनाइट इकाई लगाई साथ ही जालोर में ग्रेनाइट उद्योग पनपाने में कोई कसर नही छोड़ी।देश के पूर्व गृहमंत्री व जालोर सिरोही सांसद सरदार बूटासिंह से उनकी नजदीकियां इसमे कारगर साबित हुई।सरदार बूटासिंह और नरेंद्र बालू के संबंध बेहद अजीज थे यही कारण था कि नरेंद्र बालू के प्रयास रंग लाए और जालोर औधोगिक क्षेत्र पनपा और जालोर आज ग्रेनाइट नगरी के नाम से जाना जाता है।
20 सालों तक ग्रेनाइट एसोसिएशन के रहे अध्यक्ष-
ग्रेनाइट नगरी के नाम से जालोर को पहचान दिलवाने वाले नरेंद्र बालू अग्रवाल ग्रेनाइट एसोसिएशन के करीब बीस सालों तक अध्यक्ष रहे है।उन्होंने ग्रेनाइट उद्योग को पनपाने में मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री से भी कई बार मुलाकात की और एक के बाद एक ग्रेनाइट उद्योग को और कैसे गति दी जा सके इसलिए लगातार प्रयास किये आज उनके प्रयासों का यही नतीजा है कि जालोर को ग्रेनाइट नगरी के नाम से जाता है।जालोर में चाहे कंटेनेर रेल टर्मिनल शुरू करवाने की बात हो,चाहे ग्रेनाइट स्लरी के उपयोग में लेकर गुजरात के मोरबी भेजने की बात हो,चाहे जालोर के ग्रेनाइट का दिल्ली,कोलकाता समेत हवाई अड्डो पर उपयोग हुआ हो समेत चाहे वसुंधरा सरकार में लगी रॉयल्टी को कम करवाने की बात हो या फिर मोदी सरकार के जीएसटी टैक्स को कम करवाने की बात हो हमेशा नरेंद्र बालू अग्रवाल ग्रेनाइट उद्योग के लिए ढाल की तरह खड़े रहे है और ग्रेनाइट उद्योग के लिए हमेशा संघर्षशील रहे है।उन्होंने ग्रेनाइट उद्योग में कई नवाचारों को भी अंजाम दिया।
कांग्रेस संगठन को खड़ा करने में भी बालू की अहम भूमिका-
जालोर जिले में कांग्रेस को खड़ा करने में नरेंद्र बालू को हमेशा याद किया जाता रहेगा।वे लंबे समय तक एनएसयूआई,यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष रहे,बतौर अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने में कोई कसर नही छोड़ी।उनकी पार्टी में चाहे मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत,पूर्व गृहमंत्री सरदार बूटासिंह,पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी हो या राजीव गांधी हो उनसे भी बेहद नजदीकियां थी।जालोर सिरोही लोकसभा सीट से चार सांसद रहे सरदार बूटासिंह से तो उनके संबंध ही कुछ अलग थे कहा जाता है वो सरदार बूटासिंह के चुनावों समेत सभी मसलों में थिंक टैंक कहे जाते थे।पूर्व गृहमंत्री व सांसद सरदार बूटासिंह के साथ नरेंद्र बालू अग्रवाल हमेशा उनकी परछाई की तरह साथ रहे।
50 हजार से ज्यादा फूड पैकेट्स वितरित-
मानव सेवा को समर्पित रहे नरेंद्र बालू अग्रवाल ने कोरोना की पहली लहर में लॉकडाउन के दौरान अग्रवल चेरिटेबल ट्रस्ट की धर्मशाला में जरूरतमंदों के लिए रसोई शुरू की जिसमे करीब रोजाना एक हजार से ज्यादा फूड पैकेट्स तैयार किये जाते।सुबह 500 और शाम को 500 फूड पैकेट्स तैयार कर जरूरतमंदों तक पहुंचाने का काम नरेंद्र बालू अग्रवाल उनकी टीम और प्रशासन द्वारा किया जाता।करीब दो महीने तक चली इस रसोई में करीब 50 हजार से ज्यादा लोगो तक फूड पैकेट्स पहुंचाए गए।इस मुहिम की खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी सराहना की थी।
अग्रवाल समाज के भवन का निर्माण-
समाजसेवी नरेंद्र बालू के निधन से अग्रवाल समाज को बड़ी क्षति हुई हैं।वे अग्रवाल समाज के अध्यक्ष रहते हुए अग्रवल समाज भवन का निर्माण करवाया साथ ही साथ वो पश्चिमी अग्रवाल समाज विवाह सम्मेलन के उपाध्यक्ष भी थे।बतौर अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने समाज मे भी कई नवाचारों को अंजाम दिया।उनके निधन से जहां एक तरफ पुराम जालोर शहर गमजदा है वहीं अग्रवाल समाज जालोर समेत पूरे पश्चिमी राजस्थान में भी शोक की लहर है।