क्षात्र पुरुषार्थ फाउण्डेशन स्थापनादिवस : भगवानसिंह रोलसाहबसर बोले, सभी को साथ लेकर चलो और लक्ष्य प्राप्ति तक मत रुको
क्षात्र पुरुषार्थ फाउण्डेशन का स्थापना दिवस के अवसर पर क्षत्रिय युवक संघ के संघप्रमुख भगवानसिंह रोलसाहबसर का सम्बोधन, स्वामी विवेकानंद को याद करते हुए कहा जब तक लक्ष्य प्राप्ति नहीं हो तब तक मत रुको

जयपुर | क्षत्रिय युवक संघ के संघप्रमुख भगवानसिंह रोलसाहबसर ने कहा है कि दुनिया में जहां विष है, उसका विनाश करना हमारा उद्देश्य होना चाहिए। हमारे प्रति सहयोग का भाव रखने वाली सभी जातियों को जोड़ते हुए प्राणी मात्र के कल्याण की नजर से हमें सतत कर्मशील रहने की आवश्यकता है। वे मंगलवार को संघ के अनुषांगिक संगठन श्री क्षत्रिय पुरुषार्थ फाउण्डेशन के तीसरे स्थापना दिवस कार्यक्रम को वर्चुअली सम्बोधित कर रहे थे।
विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से प्रसारित संदेश में संघप्रमुख ने कहा कि संगठन की लड़ाई किसी पार्टी, संगठन या विचारधारा से नहीं है। बल्कि समाज में व्याप्त विष तत्वों से है। उन्होंने कहा कि बीते दिनों में राजस्थान में छोटी—छोटी अनेकों अपमानजनक घटनाएं घटी हैं और जिन पर हमारी आवाज को सुना नहीं गया। अभी राजस्थान में इन दोनों पार्टियों ने क्षत्रियों को हाशिए पर रख दिया है। जैसे ये कोई नागरिक ही ना हो। कोई आवाज उठाने वाला ही नहीं होगा यदि हमारे आदमी नहीं होंगे तो और इनमें से किसी न किसी को तो वोट देते ही हैं। हमारे मत से, हमारे सहयोग से सरकारें बनती हैं, लेकिन इनके सहयोग से हमारे काम नहीं हो रहे हैं। क्षात्र पुरुषार्थ फाउण्डेशन ऐसे निकम्मा बनकर न बैठें आवाज उठाएं, थोड़ा कष्ट उठाना पड़ेगा। थोड़ा आर्थिक कष्ट भी सहन करना पड़ेगा, परिश्रम भी करना पड़ेगा, समय भी देना पड़ेगा। समाज का काम करना इतना आसान नहीं है। हम को कोई पदाधिकारी बनाए इसलिए नहीं, बल्कि हमें कोई जिम्मेदारी दे तो हम गर्व का अनुभव करें। अब आगे और विकट समस्याएं आने वाली हैं। उनका हम किस प्रकार से मुकाबला करेंगे? 12 जनवरी स्वामी विवेकानंद जी का जन्मदिन माना जाता है। उन्होंने दुनिया में क्या काम कर दिखाया, उनका स्मरण रखते हुए 12 जनवरी के स्थापना दिवस पर हमको फिर एकजुट होकर संकल्प करना चाहिए कि तय लक्ष्य से पहले न हम रुकेंगे, न झुकेंगे।
राजनीतिक वर्चस्व बनाने की जरूरत
समाज में अनेकों प्रकार की समस्याएं आती हैं। सरकार से भी हमारा काम पड़ता रहता है। व्यक्तिगत भी हमारा काम होता है, सामूहिक भी काम होते हैं। पिछले कुछ समय में हम देख रहे हैं कि सरकारें उल्टा—सुल्टा काम करके अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहती हैं। हमने यदि प्रयत्न किया और हमारी पहुंच नहीं होने के कारण हम प्रयत्न में सफल नहीं हुए। यद्यपि मुझे स्मरण है कि फाउण्डेशन की बात को मुख्यमंत्री ने भी सुना और आश्ववासन भी दिया। छोटे—छोटे आन्दोलन चलाकर के हमने उपखण्ड अधिकारी और कलक्टर को ज्ञापन दिए और समस्याएं बताई। हमारी ताकत बनती है और ताकत अधूरी रह जाती है जब राजनीतिक वर्चस्व हमारा नहीं होता। राजनीतिक वर्चस्व का अर्थ यह नहीं निकाला जाए कि हम सभी राजनीति में चले जाएं लेकिन हममें से जो राजनीति में हैं और जो पहुंच सकते हैं। उनको मुख्यमंत्री को, मंत्रियों, विभागों को यह बात जानकारी में देने का प्रयत्न करना चाहिए।
संघप्रमुख ने यह किया आह्वान
संघप्रमुख ने कहा चाहे पीढ़ियां लग जाए, यह फाउण्डेशन हिलने वाला नहीं है। लेकिन हिले नहीं तो भी क्या काम का, यदि इसकी कोई उपयोगिता नहीं बन पाती है संघर्ष करके, त्याग और बलिदान देकर भी। हम किसी के खिलाफ नहीं है परन्तु अन्याय और बुराई के खिलाफ तो हमें खड़ा होना पड़ेगा। इसलिए मैं राजपूतों के साथ तो खड़ा रहना ही है, बल्कि अन्य कौमें जो हमारा साथ देती आई हैं उनको साथ लेकर उन्हें विश्वास दिलाना चाहिए कि हम सिर्फ राजपूतों के लिए काम नहीं करते हैं। जिस गांव, मोहल्ले, नगर में रहते हैं वहां हमारी प्रतिभा प्रकट होनी चाहिए। हमारे जीवन चरित्र का एक आभामंडल बनना चाहिए कि लोग सुरक्षित महसूस करें। किसी के उपर आए हुए संकट को अपना संकट मानते हुए हमें वहां विरोध करना है। व्यक्तियों, पार्टियों और संगठनों से हमें कोई विरोध नहीं है, लेकिन जहां विष है वहां तो विरोध होना ही चाहिए। उस विष का तो विनाश ही करना है। विष वही है जो समाज को कुतर—कुतर कर चाट जाता है। ऐसा चरित्र हमारा नहीं होना चाहिए। मैं ऐसा सोचता हूं कि कोरोना का काल चल रहा है, ऐसे में सभा आदि हम नहीं करेंगे। परन्तु जो भी प्रभावी माध्यम होगा, उसके माध्यम से हम समाज की बात को पहुंचाने का काम करते रहें।
ऐसे हुई दो वर्ष पूर्व स्थापना
इससे पूर्व रोलसाहबसर ने अपने संदेश में बताया कि 12 जनवरी 2019 के दिन बहुत से सहयोगियों से विचार विमर्श करने के बाद श्री क्षात्र पुरुषार्थ फाउण्डेशन की स्थापना की गई। समाज में विभिन्न प्रकार की प्रतिभाएं हैं। क्षत्रिय युवक संघ, प्रताप फाउण्डेशन, प्रताप युवा शक्ति और अनेक संस्थाएं समाज में काम कर रही हैं। उनमें से जिन—जिन लोगों को आवश्यक समझा गया, उनको बुलाकर बात की गई। प्रतिभाओं का उपयोग सब के लिए हो। क्षत्रियों की यह संस्थाएं हैं और क्षत्रियों के जीवन व्यवहार को समझने की आवश्यकता है। वह कभी भी अपने लिए जीवन नहीं बिताता, वह सबके लिए होता है। पुराने काल में युद्ध में क्षत्रिय मानव ही नहीं बल्कि प्राणी मात्र के भलाई के हित में लड़ता रहा है। क्षात्र पुरुषार्थ फाउण्डेशन समाज के कमजोर तबकों का विशेष ध्यान रखने, उनको मान देने, उनको गले लगाने और उनके उत्थान के बारे में सबके साथ मिलकर काम करने की बात कहता है। एक क्षत्रिय के लिए यही पुरुषार्थ है। फाउण्डेशन का अर्थ नींव के पत्थर से हैं। क्षात्र पुरुषार्थ फाउण्डेशन की यह बात विचार करके स्थापना की गई कि यह संगठन सदियों तक समाज हित में अवरोधों को दूर करते हुए सच्चाई, धर्म, राष्ट्र के लिए त्याग करते हुए काम करे। पिछले दो सालों में अलग—अलग जगहों पर समारोह मनाए गए हैं, लोगों को जोड़ा गया है। कार्यसमितियां कुछ जिलों में तहसील स्तर तक काम कर रही हैं। कोरोना काल में हम साक्षात रूप से नहीं मिल सके हैं, लेकिन सोशल मीडिया के माध्यम से वर्चुअल अभियान चलाकर लोगों से संपर्क बनाए रखने का अच्छा अवसर भुनाते रहे। हम संकल्प लें जब भी हमारे सामने संकट आए तो हम उस आसन्न संकट की परवाह नहीं करते हुए चट्टान बनकर हम खड़े रहेंगे। हम मिट जाएंगे तो भी यह संस्था रहेगी। आगे आने वाले भी इस काम को प्रभावी रूप से करते रहें। हमारा यह चिंतन होना चाहिए कि जिस उदृदेश्य को लेकर हम इस संस्था से जुड़े थे हम उसमें काम आ रहे हैं अथवा नहीं! गति धीमी है तो हम उसे कैसे तीव्र करें? भूल गए हैं तो कैसे उसे याद करें। इन सब बातों का ध्यान रखना है।
जयपुर में आयोजित हुआ कार्यक्रम
जयपुर के श्री क्षत्रिय युवक संघ प्रधान कार्यालय संघशक्ति में मंगलवार दोपहर हुए कार्यक्रम में कई वक्ताओं ने विचार रखे। यशवर्धनसिंह झेरली, राजेन्द्रसिंह आंतरी, महेन्द्रप्रतापसिंह गिराब, गजेन्द्रसिंह आउ, श्रवणसिंह बगड़ी आदि ने कार्यक्रम में शिरकत कर विचार व्यक्त किए। यहां पर क्षत्रिय युवक संघ के संस्थापक तनसिंह के चित्र पर पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई और संगठन के दो वर्षों में किए गए कार्यों समेत अन्य विषयों पर प्रकाश डाला गया।
- 2020 में संगठन ने यह किए काम
- राजस्थान शिक्षा विभाग की ओर से स्कूली पाठ्यक्रम में की गई इतिहास से छेड़छाड़ के विरुद्ध ‘हमारा इतिहास हमारी धरोहर’ अभियान चलाया गया। इसके तहत मुख्यमंत्री को हजारों ईमेल भेजे गए, प्रशासन के नाम ज्ञापन सौंपे गए। विभिन्न राजनेताओं के नाम पत्र लिखे गए और अन्य समाजों से भी इस विषय को उठवाया गया।
- सोशल मीडिया पर ‘युवा प्रेरणा’ नामक सीरीज चलाई गई जिसके तहत विशिष्ट उपलब्धि प्राप्त युवाओं की जानकारी प्रसारित की गई।
- प्रतिदिन रोजगार सूचनाओं व नवीनतम सामान्य ज्ञान को सोशल मीडिया में प्रसारित किया गया।
- समाज के लोगों के साथ घटित विभिन्न घटनाओं यथा पोकरण प्रकरण, पलाड़ा सरपंच प्रकरण, रूण प्रकरण, डूंगरपुर हिंसा प्रकरण, पीपाड़ प्रकरण आदि अनेक प्रकरणों पर न्यायपूर्ण कार्यवाही के लिए ईमेल, ज्ञापन आदि के माध्यम से जिम्मेदारों तक अपनी बात पहुंचाई गई।
- सहयोगियों के लिए श्री क्षत्रिय युवक संघ का प्रशिक्षण शिविर भी आयोजन।
- पटवारी एवं कांस्टेबल की तैयारी कर रहे समाज बंधुओं के लिए आफलाइन और आनलाइन टेस्ट सीरीज का आयोजन किया गया।
- संघप्रमुख भगवानसिंह रोलसाहबसर के सान्निध्य में जोधपुर में ‘जाति एवं जातिवाद’ विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।
- झुंझुनूं जिले में जिला स्तरीय एवं चौहटन में तहसील स्तरीय कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
- कोराना काल के दौरान आनलाइन संवाद के तहत जिलों और तहसीलों के स्तर पर सहयोगियों, छात्र नेताओं, सरपंचों, पत्रकारों, टेक्नोक्रेट्स आदि के साथ आनलाइन बैठकें आयोजित की गई।
- सूचना तकनीक क्षेत्र की विभिन्न विधाओं, समाज कल्याण विभाग की योजनाओं, श्रम विभाग की योजनाओं, विभिन्न छात्रवृतियों, पशु चिकित्सा शिक्षा, ग्राम सभा के अधिकार, ग्रामीण पिछड़ा वर्ग प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया, राजस्थान लोक सेवा गारंटी अधिनियम, संपर्क पोर्टल आदि विषयों पर आनलाइन गोष्ठियां वेबीनार आयोजित की गई।
- सोशल मीडिया में गौरवशाली इतिहास से संबंधित छोटे—छोटे वीडियो प्रसारित किए गए।