सरकार यह कदम उठाये तो बेरोजगार आयुष नर्सेज को मिलेगा रोजगार : आयुष नर्सेज महासंघ

सरकार यह कदम उठाये तो बेरोजगार आयुष नर्सेज को मिलेगा रोजगार : आयुष नर्सेज महासंघ

  • अगर प्रस्तावों पर सरकार अमल करें तो मिट सकती बेरोजगारी - सैनी
  • आयुष नर्सेज महासंघ ने पांचवी बार सरकार के समक्ष रखे प्रस्ताव
  • आयुष चिकित्सा पैथियो को बढ़ावा मिलेगा तो प्रदेश की जनता को मिलेगा अच्छा स्वास्थ्य

फर्स्ट राजस्थान @ जयपुर

अखिल राजस्थान राज्य आयुष नर्सेज महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष छीतर मल सैनी ने राज्य सरकार के जनसँकल्प पत्र 2018 के अनुकरण में पांचवीं बार सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व चिकित्सा मन्त्री डॉ. रघु शर्मा को महासंघ द्वारा भेजे गये प्रस्तावों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर आयुष नर्सेज महासंघ द्वारा राज्य सरकार को प्रेषित उक्त प्रस्तावों पर सरकार द्वारा अमल कर उन्हें अमलीजामा पहनाया जाता है तो आयुष विभागान्तर्गत रोजगार की आस लगाये बैठे पांच हजार से अधिक बेरोजगार आयुष नर्सेज को रोजगार मिलने से उन्हें बेरोजगारी से मुक्ति मिल सकती है औऱ सरकार का यह कदम प्रदेश में कोरोना को हराने में भी सहायक सिद्ध हो सकता है।

महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष छीतर मल सैनी ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा अपने चुनावी संकल्प पत्र ( घोषणा पत्र 2018 ) के बिंदु संख्या - 8 के अनुसार चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विषय अंतर्गत योग , आयुर्वेद , होम्योपैथी व यूनानी चिकित्सा पद्दतियों का विस्तार एवं विस्फार किये जाने का संकल्प दोहराया गया था। जिसके अनुसार राज्य में इन चिकित्सा पद्दतियों के विस्तार एवं विस्फार की महती आवश्यकता है , राजस्थान राज्य में वर्तमान में लगभग पांच हजार आयुर्वेद, होम्योपैथी व यूनानी चिकित्सा केंद्र संचालित है जिनमे न्यूनतम एक चिकित्सक एक कम्पाउंडर् व एक परिचारक के पद स्वीकृत है। उक्त आयुष चिकित्सा केंद्र वर्तमान में 24 हजार की आबादी पर एक है जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के अनुसार तथा मिलेनियम डवलपमेंट गोल एवं सबको स्वास्थ्य 2020 की भावना के अनुसार एक हजार की जनसंख्या पर एक चिकित्सा सुविधा केंद्र होना आवश्यक है साथ ही आयुर्वेद चिकित्सा पध्दति जो कि मुख्यतः औषधि पादपों पर टिकी हुई है उसके संरक्षण , संवर्द्धन , विपणन एवं उपयोग हेतु आयुर्वेद विद्ध ( जानकर ) होना आवश्यक है !

प्रदेश में चिकित्सा ढांचा एक नजर में :-

राज्य में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के आलोक में प्राथमिक स्तर पर तीन चिकित्सा केंद्र संचालित है :-

  1. उपस्वास्थ्य केंद्र :- जहाँ एएनएम कार्यरत है
  2. उच्चीकृत स्वास्थ्य केंद्र :- जहां मेल नर्स -2 कार्यरत है
  3. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र :- जहां एमओ , नर्सिंग स्टॉप व अन्य कार्यरत है

उपरोक्तानुसार चिकित्सा व्यवस्था राज्य में संचालित है और इनके द्वारा चिकित्सा कार्य के अलावा स्वास्थ्य परक यथा टीकाकरण, मौसमी बीमारियों के बचाव के उपाय, शुद्ध पेयजल प्रबंधन, जनस्वास्थ्य, सामुदायिक स्वास्थ्य के बचाव हेतु विभिन्न समझाईस कार्यक्रम चिकित्सा के अतिरिक्त किये जाते है !

चूंकि आयुर्वेद एवं भारतीय चिकित्सा विभाग में यह कार्य अभी तक केवल मात्र चिकित्सालय एवं औषधालयों तक ही सीमित है जिससे राज्य की आधी जनसंख्या ही इन स्वदेशी चिकित्सा पध्दतियों का प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त कर रही है शेष राज्य की आधी आबादी इनकी सेवाओं से वंचित है ! राज्य की आधी आबादी को इन चिकित्सा पैथियो का प्रत्यक्ष लाभ प्रदान करवाये जाने एवं सरकार के जनसँकल्प की घोषणा को अत्यल्प बजट में शतप्रतिशत पूर्ण करने के लिये आयुर्वेद एवं भारतीय चिकित्सा विभागों में भी यह व्यवस्था निम्नानुसार प्रारम्भ की जावें !

  1. आयुर्वेद उपस्वास्थ्य केन्द्र :-
    कनिष्ठ नर्स/कम्पाउंडर् प्रस्तावित पद !
  2. आयुर्वेद उच्चीकृत स्वास्थ्य केंद्र :- वरिष्ठ नर्स/कम्पाउंडर्स एवं उससे ऊपर के पद प्रस्तावित !
  3. आयुर्वेद औषधालय : एमओ , नर्स/ कम्पाउंडर्स, परिचारक !
  4. सामुदायिक आयुर्वेद चिकित्सालय :- प्रत्येक ब्लॉक स्तर पर एक एमओ , दो नर्स/कम्पाउंडर्स
  5. जिला आयुर्वेद चिकित्सालय :- वर्तमान में सभी जगह संचालित है !

प्रस्तावित आयुर्वेद उपस्वास्थ्य केंद्र के निम्नांकित सम्भावित कार्य :-

  1. आयुर्वेद का प्रथम उद्देश्य स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य को बनाये रखना है इसके लिये आयुर्वेद उपस्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से होने वाले ऋतुजन्य रोगों ,प्राकृतिक आपदाओं, महिलाओं एवं बच्चों की आयुर्वेदिक प्राथमिक जांच एवं गर्भनिचर्या आदि के बारे में बताया जायेगा !
  2. हेल्थ शिक्षा :- भारत के नवीनतम सांख्यिक आंकड़ो के अनुसार लगभग दो तिहाई रोग स्वास्थ्य सूचनाओं के अभाव में पैदा होकर जनपतोध्वंश का रूप ले लेते है जैसे बच्चों में न्यूमोनिया, दस्तरोग शिशु मृत्यु दर का मुख्य कारण है जबकि इन दोनों रोगों में यदि समय पर स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान कर जाये तो इनसे न केवल बच्चों को बचाया जा सकता है बल्कि राष्ट्रीय कलंक शिशु मृत्यु दर को भी अत्यधिक कम किया जा सकता है , ऐसे रोगों के बचाव के लिये शुद्ध पेयजल प्रबंधन, सामुदायिक स्वच्छता,मानसिक अवसाद आदि होने वाली बीमारियों से बचाव हेतु स्थानीय स्तर पर एक चिकित्सा सहायक उपलब्ध हो सकेगा !
  3. राष्ट्रीय कार्यक्रम में
    सहभागिता :- भारत सरकार द्वारा संचालित विभिन्न कार्यक्रमों यथा राष्ट्रीय टीकाकरण , क्षय उन्मूलन, घेघा नियंत्रण, पोलियो उन्मूलन, असंक्रामक रोग नियंत्रण ,जीवन शैली जनित रोग आदि कार्यक्रमों में इनकी सहभागिता हो सकेगी !
  4. आयुष चिकित्सा :- उक्त केन्द्रों द्वारा प्राथमिक तौर पर आयुर्वेद, होम्योपैथी व यूनानी चिकित्सा भी प्रदान की जा सकेगी इस हेतु वहाँ पर नियुक्त होने वाले नर्स/कम्पाउंडर्स व कार्मिकों को एक लघु अवधि का प्रशिक्षण ( ब्रिज कोर्स ) पाठ्यक्रम प्रारम्भ कराया जावे ! जिससे वहाँ पर चिकित्सा अधिकारी लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी !
  5. जड़ी बूटी सरंक्षण :- आयुर्वेद चिकित्सा मुख्य रूप से जड़ी बूटी आधारित चिकित्सा पध्दति है इन जड़ी बूटियों की सामान्य जानकारी , उनके उपयोग, उनका सरंक्षण एवं उनकी उपयोगिता के बारे में किसानों को सम्पूर्ण जानकारी आदि कार्यो के लिये जड़ी बूटियों से सम्बंधित विभिन्न विभागों यथा कृषि , वन , उद्यान आदि विभागों द्वारा चलाये जा रहे कार्यो में समन्वय आदि कार्य उक्त केंद्र द्वारा किये जा सकेंगे !
  6. भूमि एवं भवन का न्यूनतम निवेश :- उक्त केंद्रों में चिकित्सालय व औषधालयों के परिपेक्ष्य में अत्याधिक भूमि एवं भवन की आवश्यकता भी नहीं होगी !
  7. प्रशासनिक नियंत्रण :- उक्त केंद्रों का प्रशासनिक नियंत्रण केंद्रों के निकट विभागीय चिकित्सालय एवं औषधालयों के माध्यम से किया जा सकेगा !
  8. उक्त केंद्र अगर शुरू हो जाते है तो राष्ट्रीय आयुष नीति के लक्ष्य शतप्रतिशत पूर्ण होंगे तथा आयुष चिकित्सा पैथियो को और अधिक बढ़ावा मिलेगा !