
जयपुर, 30 जून 2025।
जयपुर में ‘स्नेह मिलन समारोह’ में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राजनीति में बढ़ते तनाव पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि “मुझे थोड़ी सी चिंता हुई … मेरे मित्र पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हम दबाव में हैं …
मैं सार्वजनिक रूपसे, क्योंकि उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा है वो चिंतामुक्त हो जाएं-
मैं न दबाव में रहता हूँ, ना दबाव देता हूँ, न दबाव में काम करता हूँ, न दबाव में किसी से काम कराता हूँ।”
उन्होंने कहा कि “यदि राज्य की सरकार केंद्र सरकार के अनुरूप नहीं है तो आरोप लगना बहुत आसान हो जाता है।
लेकिन समय के साथ बदलाव आया और उपराष्ट्रपति भी इसमें जुड़ गया और राष्ट्रपति जी को भी इस दायरे में ले लिया गया।
यह चिंतन, चिंता और दर्शन का विषय है, ऐसा मेरी दृष्टि में होना उचित नहीं है।”
Jagdeep Dhankhar Speech :बढ़ता राजनीतिक ‘तापमान’ चिंतनीय
“राजनीति का जो वातावरण है और जो तापमान है वो स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं …
प्रजातंत्र के स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय है।”
उन्होंने आगे कहा, “सत्ता पक्ष प्रतिपक्ष में जाता रहता है,
प्रतिपक्ष सत्ता पक्ष में आता रहता है पर इसका मतलब ये नहीं है कि दुश्मनी हो जाए।
दरार हो जाए, दुश्मन हमारे सीमापार हो सकते हैं, देश में हमारा कोई दुश्मन नहीं हो सकता।”
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उन्होंने स्पष्ट किया कि राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं, पर राष्ट्र के सामने सब एक हैं।
उपराष्ट्रपति ने चेताया कि जब अभिव्यक्ति इस स्तर पर पहुँच जाती है कि
दूसरे के मत का कोई मतलब नहीं है तो अभिव्यक्ति अपना अस्तित्व खो देती है।
उन्होंने कहा, “अभिव्यक्ति बहुत महत्वपूर्ण है, प्रजातन्त्र की जान है
पर अभिव्यक्ति कुंठित होती है या उस पर कोई प्रभाव डाला जाता है
या अभिव्यक्ति इस स्तर पर पहुँच जाती है कि दूसरे के मत का कोई मतलब नहीं है
तो अभिव्यक्ति अपना अस्तित्व खो देती है।
अभिव्यक्ति को सार्थक करने के लिए वाद-विवाद जरूरी है
वाद-विवाद का मतलब है जो लोग आपके विचार से एकमत नहीं रखते, प्रबल संभान है कि उनका मत सही है
इसीलिए दूसरे का मत सुनना आपकी अभिव्यक्ति को ताकत देता है।”