-RTI की कमजोर होती स्थिति और पारदर्शिता खत्म होने का आरोप लगाया
-केंद्र सरकार ने 2019 में RTI में संशोधन कर स्वतंत्रता खत्म की

जयपुर, 12 अक्टूबर। RTI अधिनियम 2005 (RTI Act 2005) के लागू होने के 20 वर्ष पूरे होने के अवसर पर राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने प्रेसवार्ता कर केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
उन्होंने कहा कि RTI कानून, जो कभी भारत में पारदर्शिता और जवाबदेही की रीढ़ रहा है, आज लगातार कमजोर किया जा रहा है।
कांग्रेस नेता डोटासरा ने कहा कि 12 अक्टूबर 2005 को डॉ. मनमोहन सिंह की नेतृत्व वाली UPA सरकार और सोनिया गांधी के मार्गदर्शन में RTI Act 2005 अस्तित्व में आया।
यह अधिनियम नागरिकों को सरकारी जानकारी तक पहुँच का अधिकार देता है, जिससे शासन में पारदर्शिता सुनिश्चित होती है। यह कानून राशन, पेंशन, छात्रवृत्ति और मजदूरी जैसे मुद्दों पर गरीबों की आवाज बना और प्रशासन को जवाबदेह बनाया।
अब RTI Act 2005 को किया जा रहा है कमजोर
उन्होंने बताया कि 2019 में RTI Act 2005 में संशोधन से स्वतंत्रता खत्म कर दी गई। संशोधन के बाद केंद्र सरकार को RTI आयुक्तों की सेवा शर्तें और कार्यकाल तय करने का अधिकार मिल गया। इससे सूचना आयोग की स्वायत्तता पर खतरा मंडराने लगा।
2023: डिजिटल डेटा संरक्षण कानून का दुष्प्रभाव
उन्होंने बताया कि DPDP अधिनियम की धारा 44(3) ने RTI की धारा 8(1)(j) को प्रभावित किया। अब “व्यक्तिगत जानकारी” का दायरा इतना बड़ा कर दिया गया है कि जनहित में भी जानकारी देने से इनकार किया जा सकता है। इससे मतदाता सूची, सरकारी खर्च, चुनावी चंदा जैसे विषयों पर भी सूचना मिलना मुश्किल हो गया।
आयोगों की हालत चिंताजनक, पद रिक्त, कार्य क्षमता प्रभावित
डोटासरा ने बताया कि केंद्रीय सूचना आयोग में 11 स्वीकृत पदों में से सिर्फ 2 आयुक्त कार्यरत हैं। राज्यों में 7 सूचना आयोग पूरी तरह निष्क्रिय रहे (रिपोर्ट कार्ड 2023-24)। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद, समय पर नियुक्तियाँ नहीं हो रही हैं।
देश में 4 लाख से अधिक मामले लंबित
जूली ने बताया कि जून 2024 तक पूरे देश में 4 लाख से अधिक अपीलें/शिकायतें लंबित हैं। केवल केंद्रीय आयोग में ही 23,000 से ज्यादा मामले लंबित हैं। उन्होंने कहा कि RTI कार्यकर्ताओं की हत्या और डर का माहौल देश में बन गया। RTI का उपयोग करने वाले नागरिकों को धमकियाँ, हमले और उत्पीड़न झेलना पड़ा है।
व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन अधिनियम आज भी लागू नहीं
जूली ने बताया कि यह कानून UPA सरकार के समय पास हुआ, पर मोदी सरकार ने इसे लागू नहीं किया। इससे भ्रष्टाचार उजागर करने वालों की सुरक्षा खतरे में है।
कांग्रेस की मोदी सरकार से 6 मांगें
—2019 के संशोधनों को निरस्त कर सूचना आयोगों की स्वतंत्रता बहाल की जाए।
—DPDP एक्ट की RTI-विरोधी धाराओं की समीक्षा की जाए।
—सभी रिक्तियाँ तुरंत और पारदर्शी तरीके से भरी जाएं।
—आयोगों की निपटान दर की सार्वजनिक रिपोर्टिंग अनिवार्य हो।
—व्हिसलब्लोअर एक्ट को लागू किया जाए।
—सूचना आयोगों में विविधता सुनिश्चित हो – पत्रकार, महिलाएं, कार्यकर्ता, शिक्षाविद हों शामिल।



