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‘वक्फ संशोधन बिल’ को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी, बन गया कानून, केंद्र सरकार धोषणा करेगी लागू करने की तारीख

  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 6 अप्रैल को वक्फ संशोधन विधेयक को दी मंजूरी।
  • यह कानून संसद में 2 और 3 अप्रैल को बहुमत से पारित हुआ।
  • कांग्रेस, AIMIM और आप के तीन नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल कीं।
Waqf Amendment Bill Becomes Law After President's Approval

वक्फ (संशोधन) विधेयक को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की स्वीकृति मिलने के साथ ही यह अब एक कानून बन चुका है। शनिवार देर शाम सरकार की ओर से गजट नोटिफिकेशन जारी कर इस बात की पुष्टि की गई, हालांकि इसे लागू करने की तारीख अभी घोषित नहीं की गई है। संसद के दोनों सदनों में इस बिल पर लंबी चर्चा हुई थी।

2 अप्रैल को लोकसभा में 288 सांसदों ने इसके समर्थन में और 232 ने विरोध में वोट दिया, जबकि 3 अप्रैल को राज्यसभा में 128 सदस्यों ने पक्ष में और 95 ने विरोध में मतदान किया।

तीन सांसद पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, बताया असंवैधानिक

वक्फ संशोधन कानून पर अब संवैधानिक सवाल भी खड़े हो गए हैं। कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी और आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान ने इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की हैं।

इन याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि यह संशोधन मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का हनन करता है और संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह कानून धार्मिक स्वतंत्रता और मौलिक अधिकारों के खिलाफ जाता है।

‘पारदर्शिता और नियंत्रण के लिए जरूरी कदम

केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने वक्फ कानून में किए गए संशोधनों का जोरदार बचाव किया है। उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में लंबे समय से पारदर्शिता की कमी रही है, जिससे अवैध कब्जों और दुरुपयोग की घटनाएं बढ़ीं।

रिजिजू के मुताबिक, नया कानून वक्फ बोर्ड की जवाबदेही तय करेगा, भेदभाव को रोकेगा और समुदाय की संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।

AIMPLB का ऐलान- पूरे देश में होगा विरोध-प्रदर्शन

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने वक्फ संशोधन कानून को लेकर खुलकर विरोध जताया है। बोर्ड ने शनिवार को एक दो पेज का बयान जारी कर ऐलान किया कि वह देशभर में धार्मिक, सामाजिक और समुदाय-आधारित संगठनों के साथ मिलकर राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करेगा।

बोर्ड का कहना है कि यह कानून मुस्लिम समाज की धार्मिक आज़ादी पर हमला है, और जब तक इसे वापस नहीं लिया जाता, विरोध अभियान जारी रहेगा।

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