जालोर : कांग्रेस सरकार की मनमानी पर हाइकोर्ट का डंडा, नगरपरिषद की कमेटियों पर लगाया स्टे
जालोर : कांग्रेस सरकार की मनमानी पर हाइकोर्ट का डंडा, नगरपरिषद की कमेटियों पर लगाया स्टे
- सरकार ने नगरपरिषद बोर्ड के अधिकारों को दबाते हुए अपने तरीके से बनाई थी कमेटियां, 11 में से 8 के अध्यक्ष कांग्रेसी पार्षदों को बनाया था
फर्स्ट राजस्थान - जालोर।
जालोर नगरपरिषद में पिछले दिनों राज्य सरकार की ओर से बनाई गई कमेटियों पर राजस्थान हाईकोर्ट ने गुरुवार को स्टे दे दिया है। इन कमेटियों के गठन के विरोध में जालोर नगरपरिषद के सभापति समेत 25 पार्षदों ने उच्च न्यायालय में याचिका लगाई थी। जिस पर न्यायालय ने गुरुवार को स्टे दे दिया है।

बोर्ड के अधिकारों के विरुद्ध सरकार ने बनाई थी कमेटियां
आपको बता दें कि बीते वर्ष निकाय चुनाव में 40 में से 18 सीट बीजेपी ने जीती थी। निर्दलीय के सहयोग से बीजेपी का बोर्ड बना था। बोर्ड गठन के 90 दिनों में नियमानुसार कमेटियां बनानी थी, लेकिन बोर्ड की बैठक नहीं हो पाई। कई बार बैठक आयोजन की तिथि निर्धारित भी की गई, लेकिन किसी प्रकार की बाधा के कारण बैठक नहीं हो पाई। लॉक डाउन के बाद 27 जुलाई बैठक निर्धारित की गई, जिसमें कमेटियों के गठन समेत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा सम्भव थी, लेकिन आयुक्त ने अचानक जयपुर बैठक का हवाला देकर निरस्त कर दी, उसी के तीसरे दिन 29 जुलाई को सरकार ने अपने स्तर से स्वतः ही कमेटियों का गठन कर दिया। जिनमें सरकार ने एक तरफा दांव खेलते हुए भाजपा का बोर्ड होते हुए भी 11 में से 8 कमेटियों के अध्यक्ष कांग्रेसी पार्षदों को बना डाला। जबकि एक का अध्यक्ष निर्दलीय को बनाया गया। भाजपा ने इससे नाराज होकर हाईकोर्ट का रुख किया।
आपसी झगड़े के कारण शहर का विकास ठप
जालोर में नगरपरिषद में आपसी झगड़े के कारण शहर का विकास ठप है। बोर्ड भाजपा का है और प्रदेश में सरकार कांग्रेस की है। इस कारण यहाँ भाजपाई चाहते हुए भी कुछ नहीं कर पा रहे है। परिषद की बैठक नहीं होने के कारण शहर का विकास ठप है। शहर की सड़कें टूटी पड़ी है। कामकाज प्रभावित हो रहा है, लेकिन आपसी झगड़े के चलते समाधान नहीं हो पा रहा है।