पिण्डवाड़ा : स्थानीय अतिक्रमीयों में बढ़ी हलचल, प्रशासन की दुसरे दिन भी अतिक्रमण हटाने की कार्रवाही जारी
पिण्डवाड़ा : स्थानीय अतिक्रमीयों में बढ़ी हलचल, प्रशासन की दुसरे दिन भी अतिक्रमण हटाने की कार्रवाही जारी
फर्स्ट राजस्थान @ पिण्डवाड़ा।
स्थानीय नगरपालिका एवं राजस्व विभाग की संयुक्त कार्रवाही के बाद दुसरे दिन भी गोचर भूमि से अतिक्रमण हटाने पर स्थानीय अतिक्रमीयों में हलचल बढ़ गई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार नगर की ९ सौ ९२ बीद्या गोचर भूमि स्थित पर है। स्थानीय प्रशासन की लापरवाही कहें या मिलीभगत के कारण गत वर्षो में सपूर्ण गोचर भूमि पर अतिक्रमण हो गये थे। गोचर पर अतिक्रमण होने के बाद स्थानीय पशुपालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। इसके उपरान्त प्रशासन ने गोचर भूमि से अतिक्रमण हटाने की दुसरे दिन भी कार्रवाही जारी रखी, लेकिन दो दिनों में मात्र ६० बीद्या गोचर भूमि से अतिक्रमण हटा पाये है। जबकि शेष गोचर पर आज भी अतिक्रमी काबिज है।
धर्म के नाम पर, तो किसी ने समाज के नाम पर कर रखे है अतिक्रमण
स्थानीय गोचर भूमि में गत वर्षो में किसी ने धर्म के नाम पर तो किसी ने समाज के नाम पर अतिक्रमण कर रखें है। वही आमली रोड, बिनानी रोड, मामाजी थान, थानवास कॉलानी व गोचर भूमि के रोड किनारे किसी ने आवास बना रखे है, तो किसी ने वाणिय दुकानों का निर्माण कर रखा है। तथा कुछ अतिक्रमीयों ने गोचर पर अतिक्रमण कर खेती कर रहे है। जबकि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने धर्म के नाम पर किये गये, अतिक्रमणों को सताई से हटाने के निर्देश दिये गये है, लेकिन स्थानीय प्रशासन गरीबों पर कहर बरपा रहा है, तो दुसरी तरफ प्रभावशाली लोगों के समक्ष नतमस्क नजर आ रहे है। अतिक्रमण हटाने में प्रशाासन को स्पष्ट निति बनाने की जरूरत है, वरना प्रशासन के विरूध विरोध प्रकट होने की संभावना प्रबल हो रही है।
जनप्रतिनिधि पहुंचे अतिक्रमीयों के पास
गोचर भूमि में कई अतिक्रमीयों ने अतिक्रमण कर रखा है, लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधि समाज के नाम पर, तो काई वोटर के नाते अतिक्रमीयों के पास पहुंच कर राहत दिलवाने की बात कर रहे है, इसी कारण से प्रशासन जनप्रतिनिधियों के दबाव में दोहरी निति का उपयोग कर रहा है, तो सर्वथा कानूनी विरोधी है।
मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध
स्थानीय नगर गोचर भूमि में अतिक्रमीयों का जनप्रतिनिधियों ने पानी, बिजली व सड़क के साथ शिक्षा तक सुविधाएं दे रखी है। स्थानीय प्रशासन व जनप्रतिनिधियों की शह से दिनों-दिन गोचर भूमि पर अतिक्रमण बढ़ते गये। जबकि नगरपालिका प्रशासन गत दस वर्षो से अतिक्रमीयों की सूची बना रखी है, लेकिन गोचर भूमि को अतिक्रमीयों से मुक्त नहीं करवा सकी।
झोपडे नहीं तोडऩे की दी हिदायत
स्थानीय उपखण्ड अधिकारी हरी सिंह देवल गोचर भूमि में मौके पर पहुंचे। तथा अतिक्रमीयों के आवास की समस्या को लेकर कच्चे झोपड़े नहीं तोडऩे के निर्देश दिये। ऐसे में बुधवार को मात्र प्रशासन ने कच्ची बाड़ हटाकर अतिक्रमण हटाने के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। उपखण्ड अधिकारी के निर्देश के बाद अतिक्रमीयों के हौसले बुलन्द नजर आये, तो कर्मचारी के हौसले पस्त नजर आयें।
इनका कहना है कि -
मुझे नहीं पता की अतिक्रमी बहार के है या स्थानीय है। मानवता के नाते, उनके झोपडे तोडने से मना किया था। कल जांच कर इन अतिक्रमीयों को पुर्नआवास की व्यवस्था कर बसाया जायेंगा। अतिक्रमण हटाने की कार्रवाही जारी रहेगी।
- हरी सिंह देवल उपखण्ड अधिकारी पिण्डवाड़ा।