
जयपुर। प्रसिद्ध कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने शिव महापुराण कथा (Shiva Mahapurana Katha) के सातवें दिन श्रोताओं को जीवन में ‘आज’ के महत्व को समझाया।
उन्होंने कहा, “हमारी युवा पीढ़ी को ‘कल’ नाम की बीमारी लग गई है। जबकि शिव महापुराण कहती है – जिसने ‘आज’ कुछ किया, उसने ‘कल’ को बदल दिया।”
कथा वाचक प्रदीप मिश्रा ने अपने अनोखे और सरल अंदाज़ में श्रोताओं को समझाया कि –
“काल करे सो आज कर, आज करे सो अब,
पल में प्रलय होएगी, बहुरि करेगा कब।”
उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं –
“मैं कल कथा पर जाऊंगी”, लेकिन जब घोषणा होती है कि कल की कथा रद्द है,
तब पछताते हैं। इसलिए कभी भी कल के भरोसे नहीं बैठना चाहिए।”
आज से ही करें शुभ काम – शिव भक्ति में देरी क्यों?
कथा वाचक प्रदीप मिश्रा ने कहा “पढ़ाई करनी है तो आज से करो, मॉर्निंग वॉक शुरू करनी है तो आज से करो।
जयपुर की माताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने चुटकी ली
– अलमारी में रखी साड़ियां आज से पहनना शुरू कर दो, नहीं तो समय निकल जाएगा।”
उन्होंने कहा कि ईसर-गौरा का दर्शन करो, जो पूरे 16 श्रृंगार में सजती हैं। इसका यही अर्थ है – ‘कल’ पर नहीं, ‘आज’ पर भरोसा रखो।
Shiva Mahapurana Katha: भोलेनाथ की कृपा से ही सब होता है
प्रदीप मिश्रा ने कहा – “काम किसी इंसान के कहने से नहीं होता, काम तो भोलेनाथ की कृपा से होता है।
दुनिया जलती है, लेकिन हम तो बाबा के भरोसे चलते हैं।”
उन्होंने श्रोताओं को विश्वास दिलाया कि –
“कोई जल्दी सफल होता है, कोई देर से।
लेकिन शिव को जल चढ़ाने वाला व्यक्ति एक दिन जरूर सेठ बनता है।”
कुछ माताओं के भावों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा –
“जब कोई कहती है – ‘मैं मर जाऊंगी तो सबको आटा-दाल का मोल पता चलेगा’, तो कह दो
– ‘अपनी सास से , मर जा’।
मतलब यह नहीं कि मरने की बात की जाए, बल्कि यह समझो कि मुस्कुराकर जीना ही असली शिव भक्ति है।”
पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने वाली है।
भोलेनाथ की कृपा, आज का महत्व, और जीवन में सकारात्मक सोच
इन सभी विषयों को उन्होंने सहज और भावनात्मक तरीके से प्रस्तुत किया।