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“वसुधा मेरी मां” कार्यक्रम में पर्यावरण प्रहरियों को किया गया सम्मान, संत जाम्भोजी की शिक्षाओं पर हुई चर्चा

जयपुर, 5 जून।
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर यूनाइटेडग्लोबल पीस फाउंडेशन द्वारा वैशाली नगर, जयपुर में “वसुधा मेरी मां” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पर्यावरण सरोकारों से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर गहन मंथन हुआ, साथ ही पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले व्यक्तित्वों को सम्मानित किया गया।

स्वागत भाषण और फाउंडेशन की कार्य योजना

कार्यक्रम की शुरुआत में यूनाइटेडग्लोबल पीस फाउंडेशन के निदेशक ब्रिगेडियर जितेन्द्र सिंह शेखावत ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने अपने सैन्य जीवन के दौरान पर्यावरण संरक्षण में किए गए प्रयासों का उल्लेख करते हुए बताया कि फाउंडेशन 11 प्रमुख सामाजिक एवं पर्यावरणीय बिंदुओं पर कार्य कर रहा है।

पर्यावरणीय चुनौतियों पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण

भारतीय मौसम विभाग के पूर्व महानिदेशक और विज्ञान भारती के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. लक्ष्मण सिंह राठौड़ ने कहा कि प्लास्टिक आज जीवन का हिस्सा बन चुका है, जो भविष्य के लिए गंभीर संकट है। उन्होंने जैन धर्म के अणुव्रत सिद्धांत की तर्ज पर छोटे-छोटे संकल्पों को जीवन में अपनाने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार अत्यधिक दोहन से डायनासोर समाप्त हुए, वैसे ही आज मानवता संकट में है। उन्होंने खेती में कीटनाशकों के सीमित उपयोग पर जोर देते हुए संत जाम्भोजी को विश्व का पहला पर्यावरण संत बताया।

ग्राम्य विकास का जल-संरक्षण मॉडल

पद्मश्री लक्ष्मण सिंह लापोरिया ने अपने व्याख्यान में जल, मिट्टी और वनस्पति के समेकित संरक्षण पर जोर देते हुए बताया कि सामाजिक सहभागिता से कैसे प्रभावशाली परिवर्तन संभव हैं। उन्होंने अपने मॉडल और तकनीकों को साझा करते हुए ग्रामीण भारत के लिए स्थायी समाधान प्रस्तुत किया।

कम पानी में वृक्षारोपण की पद्धति

पद्मश्री सुण्डाराम वर्मा ने एक लीटर पानी में वृक्षों को विकसित करने की अपनी विधि का परिचय देते हुए कहा कि प्रकृति को समझकर यदि कार्य करें तो बड़े परिवर्तन संभव हैं। उन्होंने कहा कि हम हिमालय से पानी लाने की सोचते हैं, जबकि खेत को ही नहीं समझते कि उसकी जरूरत क्या है।

नीतिगत चिंतन और सामाजिक चेतना

आईपीएस अधिकारी देवेन्द्र विश्नोई ने संत जाम्भोजी की शिक्षाओं पर आधारित भाषण में कहा कि सोलर पैनल जैसे साधनों का यदि सही डिस्पोजल न हो तो यह भविष्य में बड़ी समस्या बनेंगे। उन्होंने खेजड़ी जैसे वृक्षों की अंधाधुंध कटाई और खनन को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण में नीतियों के साथ सामाजिक चेतना का होना आवश्यक है।

परियोजना ‘धुन’ की वैश्विक मान्यता

यूनाइटेडग्लोबल पीस फाउंडेशन के चेयरमैन मेघराज सिंह रॉयल ने बताया कि ‘प्रोजेक्ट धुन’ दुनिया की पहली ऐसी गैर-सरकारी पहल है जो पर्यावरण के क्षेत्र में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, कतर फाउंडेशन और किंग चार्ल्स फाउंडेशन जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि यह परियोजना न केवल पर्यावरणीय संरक्षण, बल्कि युवाओं को रोजगार एवं आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी काम कर रही है।

संस्कृति से जुड़ी पर्यावरण चेतना

निदेशक शक्ति सिंह बांदीकुई ने प्रकृति, ओरण व गोचर परंपराओं और संत जाम्भोजी की शिक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किस प्रकार फाउंडेशन कन्या विवाह, प्रतियोगी परीक्षाओं में मदद, युवाओं को रोजगार योग्य बनाने जैसे विषयों पर कार्य कर रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि फाउंडेशन के चेयरमैन स्वयं करोड़ों रुपये जनहित में खर्च कर रहे हैं और मात्र ₹1 प्रतिदिन के सहयोग से आमजन को जोड़ा जा रहा है।

सम्मान और श्रद्धांजलि

इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए सुशील कुमार अग्रवालसुरेन्द्र अवाना और औंकार सिंह शेखावत को पर्यावरण प्रहरी सम्मान से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के अंत में पर्यावरण की रक्षा करते हुए बलिदान देने वाले राधेश्याम पेमाणीश्याम विश्नोईकंवराज सिंह और वनरक्षक सुरेंद्र चौधरी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

विशिष्ट जनों की उपस्थिति

कार्यक्रम में राजेश जैनमुकुल गोस्वामीके.के. बोहराडॉ. रामकेश सिंह परमारगायिका कविताआरपीएस धर्म सिंहश्यामप्रताप सिंह (ईटावा)मुकेश मेघवालडॉ. रूपक सिंह सहित बड़ी संख्या में पर्यावरण प्रेमी, किसान एवं समाजसेवी उपस्थित रहे।

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