- आबूरोड में शांतिवन के डायमंड हॉल में ब्रह्माकुमारीज़ की राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
- राजस्थान के कैबिनेट मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने दादीजी को प्रेरणा का स्त्रोत बताते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए।
- दादी रतनमोहिनी ने 1972-73 में अफ्रीका में सीमित संसाधनों के बीच राजयोग के माध्यम से समाज सेवा की।

ब्रह्माकुमारीज़ की पूर्व मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी को उनकी तेरहवीं पर भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की गई। शांतिवन के डायमंड हॉल में आयोजित इस सभा में राजस्थान के जनजातीय क्षेत्रीय विकास एवं गृह रक्षा मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने दादी को नमन करते हुए कहा कि उनका जीवन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत था। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समाज की भलाई के लिए समर्पित किया।
इस अवसर पर ब्रह्माकुमारीज़ के सभी वरिष्ठ सदस्यों और अन्य उपस्थितजन ने दादीजी के स्मृति स्तंभ पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

दादी रतनमोहिनी: जीवन के प्रेरक अनुभव
अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका बीके जयंती दीदी ने दादी के साथ बिताए पलों को साझा करते हुए बताया कि 1972-73 के दौरान दादी ने अफ्रीका में सीमित संसाधनों के बीच सेवा कार्य किया। उनकी योग-साधना और तपस्वी जीवनशैली ने अनेक लोगों का जीवन बदल दिया।
बीके मुन्नी दीदी ने कहा कि दादी का स्नेह और मार्गदर्शन हर किसी के लिए प्रेरणादायक था। दादी के साथ बिताए अनेक अनुभव आज भी प्रेरणा देते हैं।
दादी: ब्रह्माकुमारीज़ की आधार स्तंभ
अतिरिक्त महासचिव बीके डॉ. मृत्युंजय भाई ने दादीजी को ब्रह्माकुमारीज़ की आधार स्तंभ बताते हुए कहा कि स्थापना से लेकर अपने अंतिम समय तक उन्होंने निरंतर सेवाएं दीं।
संयुक्त मुख्य प्रशासिका बीके सुदेश दीदी ने दादी के तपमय और कर्मठ जीवन को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनका हर कार्य प्रेरक था।
नेपाल निदेशिका बीके राज दीदी ने दादी के सहज और सरल स्वभाव को याद करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में कई कार्यक्रम और यात्राएं आयोजित हुईं, जिन्होंने कई लोगों का जीवन बदला।

सच्ची श्रद्धांजलि: दादी की शिक्षाओं पर चलना
दादी की निज सचिव बीके लीला दीदी ने कहा कि दादी ने अपने जीवन से जो शिक्षाएं और मार्गदर्शन दिए, उन पर चलना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
इस मौके पर ग्लोबल हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. प्रताप मिड्ढा, बीके गीता दीदी, और डॉ. बनारसी भाई समेत सैकड़ों लोगों ने दादी को अंतिम विदाई दी। कार्यक्रम का संचालन डॉ. बीके सविता दीदी ने किया, और इस दौरान बीके युगरतन ने एक भावपूर्ण गीत प्रस्तुत किया।