- आपदा के दौरान अवकाश पर गए चिकित्सकों पर कार्रवाई की तैयारी।
- प्रभारी सचिव इंद्रजीतसिंह ने मेडिकल लीव पर गए डॉक्टरों की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड गठन की बात कही।
- जिला अस्पताल के छह चिकित्सकों पर लंबे समय से अनुपस्थिति का आरोप।

सिरोही जिला अस्पताल में आपदा के दौरान अनुपस्थित रहे चिकित्सकों पर अब कार्रवाई की तलवार लटक रही है। बुधवार को जिले के दौरे पर आए प्रभारी सचिव इंद्रजीत सिंह ने स्पष्ट किया कि सरकार के आदेश किसी भी स्थिति में हल्के में नहीं लिए जा सकते। उन्होंने कहा कि जो अधिकारी या कर्मचारी सरकारी निर्देशों की अवहेलना करते हैं, उनके खिलाफ विधिवत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने बताया कि चिकित्सकों की गैरमौजूदगी का मामला उनके संज्ञान में आया है और वे इस मामले में जिला कलेक्टर से भी बातचीत करेंगे।
तनाव की स्थिति में अवकाश रद्द, फिर भी अस्पताल से नदारद रहे डॉक्टर
भारत-पाक सीमा पर बढ़ते तनाव को देखते हुए राज्य सरकार ने आपातकालीन निर्देश जारी करते हुए सभी सरकारी चिकित्सकों के अवकाश निरस्त कर दिए थे। बावजूद इसके, सिरोही जिला अस्पताल के तीन चिकित्सक मेडिकल लीव का हवाला देकर कार्यस्थल से अनुपस्थित रहे। इनमें डॉ. धनराज चौधरी, डॉ. प्रदीप चौहान और डॉ. उषा चौहान के नाम शामिल हैं।
इनमें से कुछ डॉक्टरों की गैरहाजिरी लंबे समय से बनी हुई है। पहले भी प्रमुख चिकित्सा अधिकारी ने इनकी अनुपस्थिति को लेकर विभाग को रिपोर्ट भेजी थी, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई सामने नहीं आई है।

आपदा के दौरान तीन चिकित्सक मेडिकल लीव लेकर अनुपस्थित हो गए। जो भी आदेशों की अनदेखी करेगा, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
-इंद्रजीत सिंह, प्रभारी सचिव
मेडिकल लीव या बहाना? दो डॉक्टर विदेश ट्यूर पर जाने की चर्चा
सूत्रों के अनुसार, जिन डॉक्टरों ने मेडिकल लीव का हवाला दिया था, उनमें से दो के विदेश यात्रा पर जाने की बात सामने आई है। यह सवाल उठता है कि क्या मेडिकल लीव का सहारा लेकर जिम्मेदारी से भागने की कोशिश की गई?
डॉ. वीरेंद्र महात्मा ने जानकारी दी कि डॉ. धनराज चौधरी 2 मई से 15 दिनों के लिए मेडिकल अवकाश पर हैं, जबकि डॉ. प्रदीप और डॉ. उषा चौहान ने 6 मई से 22 दिन की लीव डाली। इनकी मेडिकल स्थिति की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन भी किया गया है, लेकिन अब तक जांच रिपोर्ट या किसी कार्रवाई की कोई पुष्टि नहीं हुई है।
राज्यमंत्री के निर्देश भी अनसुने, कार्रवाई आज तक अटकी
आपदा की स्थिति के तुरंत बाद पंचायतीराज राज्यमंत्री ओटाराम देवासी ने जिला स्तरीय अधिकारियों की बैठक में इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया था। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि दोषी कार्मिकों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है।
लीपापोती करने वाले अफसर भी घेरे में आ सकते हैं
प्रभारी सचिव के बयान से साफ है कि अब सिर्फ गैरहाजिर डॉक्टर ही नहीं, बल्कि उन्हें ढाल देने वाले या जानबूझकर जांच को लटकाने वाले अधिकारियों की भूमिका भी जांच के दायरे में आ सकती है। विभागीय स्तर पर यह भी देखा जा रहा है कि क्या मेडिकल बोर्ड की रिपोर्टों का इस्तेमाल सिर्फ लीपापोती के लिए किया जा रहा है। यदि ऐसा पाया गया, तो जिम्मेदार अफसरों पर भी कार्रवाई की संभावना है।