- ब्रह्माकुमारीज दुनिया का सबसे बड़ा महिला-नेतृत्व वाला आध्यात्मिक संगठन है, जो 140 देशों में फैला हुआ है।
- यह संस्था नारी सशक्तिकरण, राजयोग ध्यान, पर्यावरण संरक्षण और नशामुक्ति जैसे अभियानों में सक्रिय भूमिका निभा रही है।
- संस्थान की पांचवीं मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी वर्तमान में संगठन का नेतृत्व कर रही हैं।

आबूरोड: ब्रह्माकुमारीज संगठन नारी सशक्तिकरण की अद्वितीय मिसाल है। वर्ष 1937 में दादा लेखराज कृपलानी ने इस संस्था की नींव रखी, जिसमें महिलाओं को प्रमुख भूमिका सौंपी गई। उन्होंने अपनी संपत्ति बेचकर एक ट्रस्ट बनाया और इसकी पूरी जिम्मेदारी महिलाओं को दे दी। वर्ष 1950 में इसका अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय माउंट आबू में स्थापित किया गया और इसका नाम प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय रखा गया।
दुनिया का सबसे बड़ा महिला-नेतृत्व वाला संगठन
ब्रह्माकुमारीज दुनिया का सबसे बड़ा ऐसा संगठन है, जिसे पूरी तरह से महिलाएं संचालित करती हैं। यहां भोजनालय से लेकर प्रशासनिक कार्यों तक, हर स्तर पर महिलाओं की भागीदारी है। हाल ही में एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भी इसकी सराहना की थी।
शिक्षा और साधना से बदलती ज़िंदगी
संस्थान में चौथी कक्षा से लेकर पीएचडी डिग्रीधारी बहनें समर्पित रूप से सेवाएं दे रही हैं। दादी जानकी, जिन्होंने मात्र चौथी कक्षा तक पढ़ाई की थी, 90 वर्ष की उम्र तक 100 से अधिक देशों में भारतीय आध्यात्म और राजयोग का प्रचार कर चुकी थीं।
ब्रह्माकुमारी बनने का सात साल का सफर
संस्थान से जुड़ना आसान है, लेकिन ब्रह्माकुमारी बनने के लिए सात साल की कठिन साधना से गुजरना होता है। पहले तीन साल कन्या को सेवाकेंद्र में रहकर परखा जाता है, इसके बाद सात साल तक संस्थान के नियमों का पालन करने के बाद उसे समर्पित सदस्य के रूप में स्वीकार किया जाता है।
ब्रह्माकुमारीज – संस्थापना और उपलब्धियाँ
संस्थापना
1937 – आध्यात्मिक जागृति की शुरुआत
वैश्विक विस्तार
140+ देशों में सेवाकेंद्र संचालित
राष्ट्रीय उपस्थिति
5000+ सेवाकेंद्र भारत में
समर्पित साधिकाएँ
50,000+ ब्रह्माकुमारी बहनें
नियमित विद्यार्थी
20 लाख से अधिक साधक
युवा सदस्य
2 लाख बालब्रह्मचारी
अंतरराष्ट्रीय विस्तार
1970 – विदेशों में आध्यात्मिक संदेश
यूएनओ सम्मान
7 पीस मैसेंजर अवॉर्ड
सेवा के 20 प्रभाग
सभी समाज वर्गों तक पहुँच
अमृत महोत्सव
2022 – 55,000+ कार्यक्रम देशभर में
कल्पतरुह अभियान
2022 – 16,02,000 पौधे रोपे गए
140 देशों में फैला है नेटवर्क
ब्रह्माकुमारीज का नेटवर्क 140 देशों में फैला हुआ है, जहां 5,000 से अधिक सेवाकेंद्र संचालित हो रहे हैं। करीब 50,000 ब्रह्माकुमारी बहनें तन-मन-धन से समर्पित रूप से सेवा दे रही हैं। दो लाख से अधिक युवा बाल ब्रह्मचारी रहकर संस्थान से जुड़े हुए हैं।
राजयोग ध्यान: आत्मा का जागरण
संस्थान में राजयोग ध्यान का अभ्यास कराया जाता है, जिससे आत्मा को जागरूक किया जाता है। सात दिन का निःशुल्क राजयोग मेडिटेशन कोर्स कराया जाता है, जिसमें जीवन जीने की कला, आत्मा-परमात्मा का सत्य परिचय और कर्म सिद्धांत सिखाया जाता है।
पर्यावरण संरक्षण और नशामुक्ति अभियान
संस्थान नशामुक्ति, जैविक खेती, पर्यावरण संरक्षण, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसे अभियानों में भी सक्रिय भूमिका निभा रहा है। हाल ही में स्वर्णिम भारत अभियान के तहत 55,000 आध्यात्मिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए।

ब्रह्मकुमारी संस्था – एक दृष्टि
स्थापना
1936 में परमपिता परमात्मा शिव द्वारा स्थापित।
मुख्यालय
माउंट आबू, राजस्थान।
वैश्विक विस्तार
110+ देशों में सेवाकेंद्र सक्रिय।
लक्ष्य
“स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन।”
राजयोग
सहज राजयोग के माध्यम से आंतरिक शांति।
सेवाएं
पर्यावरण, शिक्षा और समाज सेवा में योगदान।
प्रकल्प
20 प्रभागों के माध्यम से समाज सेवा।
उपलब्धियां
व्यक्तिगत और सामूहिक शांति का प्रसार।
विचारधारा
“वसुधैव कुटुंबकम” का पालन।
संयुक्त राष्ट्र से सम्मानित
संयुक्त राष्ट्र ने 1981 और 1986 में ब्रह्माकुमारीज को शांति पुरस्कार से सम्मानित किया। 2019 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अंतरराष्ट्रीय मोटिवेशनल स्पीकर बीके शिवानी को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया था।
मुख्य प्रशासिकाएं और नेतृत्व की परंपरा
संस्थान की पहली मुख्य प्रशासिका मातेश्वरी जगदंबा थीं। इसके बाद दादी प्रकाशमणि, दादी जानकी, दादी हृदयमोहिनी और अब 101 वर्षीय दादी रतनमोहिनी मुख्य प्रशासिका का दायित्व संभाल रही हैं।
विश्व की सबसे स्थिर मन की महिला
पूर्व मुख्य प्रशासिका दादी जानकी को टेक्सास यूनिवर्सिटी ने “विश्व की सबसे स्थिर मन की महिला” का दर्जा दिया था। शोध में पाया गया कि वह अपने मन को पूर्णतः नियंत्रित कर सकती थीं।

दादा लेखराज: नारी उत्थान के प्रेरणास्रोत
संस्थान के संस्थापक दादा लेखराज ने वर्ष 1936 में आध्यात्मिक अनुभव के बाद अपनी पूरी संपत्ति बेचकर माताओं और बहनों को समर्पित कर दी। उन्होंने स्वयं कभी धन का स्पर्श तक नहीं किया और एक प्रेरणादायक जीवन जिया।
शांतिवन: 25,000 लोगों की रहने की क्षमता
संस्थान का मुख्यालय शांतिवन एक ऐसा परिसर है, जहां एक साथ 25,000 लोगों के ठहरने और भोजन की व्यवस्था है। यहां का सौर ऊर्जा प्लांट प्रतिदिन 18,000 वॉट बिजली का उत्पादन करता है।
ब्रह्माकुमारीज संगठन आध्यात्म, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दे रहा है। यह संस्थान केवल एक आध्यात्मिक संगठन नहीं बल्कि नारी शक्ति और सामाजिक बदलाव का प्रतीक भी है।