- एलडीसी ने पत्नी के नाम से फर्जी फर्म बनाकर पंचायत में 14 टेंडर भरे।
- 7.12 करोड़ के 9 टेंडर स्वीकृत हुए।
- स्थानीय ठेकेदारों को नजरअंदाज किया गया।

जालौर: भीनमाल पंचायत समिति में एक एलडीसी ने नियमों की अनदेखी करते हुए अपनी पत्नी के नाम से फर्म बनाकर करोड़ों के टेंडर हासिल कर लिए। वर्ष 2022-23 से लेकर 2024-25 तक उसने कुल 14 टेंडर भरे, जिनमें से 9 टेंडर उसे स्वीकृत हुए। इनकी कुल राशि 7.12 करोड़ रुपये है। यह मामला तब सामने आया जब टेंडर प्रक्रिया में नियमों के उल्लंघन की शिकायतें उच्च अधिकारियों तक पहुंची।
कैसे हुआ नियमों का उल्लंघन?
पंचायती राज अधिनियम के अनुसार, टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति सिर्फ पंजीकृत ठेकेदारों को होती है। लेकिन इस मामले में, एलडीसी ने अपनी पत्नी के नाम से फर्म रजिस्टर करवाई और खुद ही टेंडर भरने लगा। दस्तावेज़ बताते हैं कि नियमों के बावजूद उसे 10.54 करोड़ रुपये के टेंडर आवंटित किए गए।
कहां-कहां कितनी राशि के टेंडर प्राप्त हुए
- वर्ष 2022-23 में दांतलावास, मुडतरासिली और मांडोली ग्राम पंचायतों में 80-80 लाख रुपये के टेंडर प्राप्त हुए।
- वर्ष 2023-24 में तवाव, धूर और मुडतरासिली ग्राम पंचायतों में 80-80 लाख रुपये के टेंडर मिले, जबकि मांडोली ग्राम पंचायत में 1 करोड़ रुपये का टेंडर प्राप्त हुआ।
- वर्ष 2024-25 में तातोल ग्राम पंचायत में 80 लाख रुपये और मुडतरासिली में 52 लाख रुपये के टेंडर प्राप्त हुए।
इसके अतिरिक्त, इसी फर्म ने थूर (2022-23), दांतलावास (2023-24), तथा मांडोली और सोमता (2024-25) ग्राम पंचायतों की निविदा प्रक्रियाओं में भाग लिया, लेकिन ये निविदाएं फर्म के पक्ष में नहीं रहीं।
जांच के घेरे में टेंडर प्रक्रिया
शिकायत के बाद जांच में यह सामने आया कि एलडीसी ने टेंडर के लिए अपनी पत्नी के नाम की फर्म का इस्तेमाल किया। दस्तावेजों में फर्म की गतिविधियां संदिग्ध पाई गईं। जांच अधिकारियों ने पाया कि फर्म के जरिए फर्जीवाड़ा कर ठेके प्राप्त किए गए।
नियमित ठेकेदारों को नजरअंदाज
स्थानीय ठेकेदारों ने आरोप लगाया कि उन्हें जानबूझकर टेंडर प्रक्रिया से बाहर रखा गया। इसके विपरीत, एक ही फर्म को बार-बार ठेके दिए गए।
पंचायती राज विभाग के अधिकारियों ने कहा कि मामले की पूरी जांच के बाद ही कार्रवाई की जाएगी। वर्तमान में संबंधित एलडीसी और उसकी पत्नी की फर्म के दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं।