- एनआईए ने शनिवार को 8 राज्यों के 15 ठिकानों पर छापेमारी की, जिनमें दिल्ली, हरियाणा, और राजस्थान प्रमुख थे।
- जांच में सामने आया कि यह नेटवर्क 2023 से संवेदनशील जानकारी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों को दे रहा था।
- गिरफ्तार आरोपी, सीआरपीएफ एएसआई मोतीराम जाट, जम्मू-कश्मीर में पोस्टेड था और आतंकी हमले से जुड़े संभावित एंगल पर जांच जारी है।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने शनिवार को पाकिस्तान से जुड़ी संदिग्ध जासूसी गतिविधियों के खिलाफ देशव्यापी कार्रवाई की। दिल्ली, महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम और पश्चिम बंगाल समेत आठ राज्यों के 15 ठिकानों पर छापेमारी की गई। एजेंसी ने इस दौरान संदिग्धों के परिसरों से कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़, फाइनेंशियल रिकॉर्ड और संवेदनशील दस्तावेज जब्त किए हैं।
जांच एजेंसी का कहना है कि ये छापेमारी भारत विरोधी आतंकी साजिश की गहराई से जांच करने और जासूसी नेटवर्क के लिंक खोजने के लिए की गई। शुरुआती जांच में सामने आया है कि यह नेटवर्क पाकिस्तान स्थित खुफिया एजेंसियों और उनके सहयोगियों द्वारा संचालित किया जा रहा था।
गिरफ्तार आरोपी 2023 से कर रहा था जासूसी
एनआईए की जांच में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि इस नेटवर्क से जुड़े एक आरोपी ने 2023 से पाकिस्तान खुफिया ऑपरेटिव (PIO) के साथ संवेदनशील जानकारी साझा करनी शुरू की थी।
20 मई को पकड़ा गया आरोपी कथित तौर पर भारतीय सुरक्षा से जुड़ी गोपनीय जानकारियां लीक करता रहा। इसके बदले में उसे देश के भीतर अलग-अलग माध्यमों से पैसे ट्रांसफर किए जाते थे। यह मामला NIA के आरसी-12/2025/एनआईए/डीएलआई केस के तहत दर्ज किया गया है।
पहलगाम पोस्टिंग और हमले से जुड़ा संदिग्ध एंगल
मामले में सबसे सनसनीखेज मोड़ तब आया जब जांच के दायरे में आए आरोपी की पहचान सीआरपीएफ में एएसआई के पद पर तैनात मोतीराम जाट के रूप में हुई।
मोतीराम जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पोस्टेड था और वही इलाका कुछ समय पहले आतंकी हमले की चपेट में आया था। एनआईए सूत्रों के अनुसार, हमले से ठीक 5 दिन पहले मोतीराम का ट्रांसफर कर दिया गया था, जिससे संदेह और गहरा हो गया है कि कहीं उसे पहले से हमले की जानकारी तो नहीं थी।
एनआईए ने उसके खिलाफ आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित कानूनों के तहत मामला दर्ज कर जांच को और तेज कर दिया है।
छापेमारी में डिजिटल डिवाइस कब्जे में लिए
आतंकवाद और जासूसी के खिलाफ देश की सबसे महत्वपूर्ण जांच एजेंसी अब उन लिंक को खंगाल रही है, जिनके जरिए यह संवेदनशील सूचना पाकिस्तान तक पहुंचाई जा रही थी।
बीएनएस 2023 की धारा 61(2), 147, 148 और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम 1923 की धारा 3 और 5 के तहत दर्ज केस में छानबीन और भी बारीकी से की जा रही है। एनआईए को उम्मीद है कि छापेमारी में मिली डिजिटल डिवाइसेज़ और दस्तावेज़ इस जासूसी नेटवर्क की पूरी परत खोल सकते हैं।