- 2021 में नागौर से शुरू हुआ था ‘रास्ता खोलो अभियान’, ग्रामीण रास्तों को दोबारा खोला गया।
- राजस्व विभाग ने पूरे राजस्थान में इसे लागू करने के लिए परिपत्र जारी किया।
- रास्तों को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने, बंद रास्तों को चालू करने के निर्देश।

राजस्थान के नागौर जिले में चार साल पहले शुरू हुआ ‘रास्ता खोलो अभियान’ अब राज्यव्यापी योजना बन चुका है। इस मुहिम की नींव वर्ष 2021 में नागौर के तत्कालीन जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने रखी थी, जिसने गांव-ढाणियों की पुरानी पगडंडियों से लेकर मुख्य रास्तों तक की शक्ल ही बदल दी थी। अब राज्य सरकार के राजस्व विभाग ने इस मॉडल को पूरे राजस्थान में लागू करने का फैसला किया है और इसके लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं।
परिपत्र के मुताबिक, सभी जिलों में इस अभियान के लिए जिला स्तर पर एक नोडल अधिकारी और एक सहायक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी। इन अधिकारियों की जिम्मेदारी होगी कि वे सार्वजनिक आवागमन के पुराने व अवरुद्ध रास्तों को चिह्नित कर उन्हें दोबारा खोलें, साथ ही उन रास्तों को स्थायी रूप से राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करें।
नागौर मॉडल क्यों बना मिसाल?
2021 में जब नागौर में यह पहल शुरू हुई, तब डॉ. सोनी ने सिर्फ रास्ते खुलवाने पर ही नहीं, बल्कि उन रास्तों पर नरेगा के तहत ग्रेवल सड़कें भी बनवाने पर जोर दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि वर्षों से बंद पड़े रास्ते किसानों, विद्यार्थियों और आम ग्रामीणों के लिए दोबारा खुल गए। प्रशासन की इस सक्रियता ने स्थानीय लोगों को सीधा लाभ पहुंचाया।
अब पूरे राजस्थान में होंगे ये कार्य
- राजस्थान काश्तकारी अधिनियम, 1955 की धारा 25 के अंतर्गत बंद रास्तों को दोबारा खुलवाना।
- धारा 251A के तहत स्वीकृत रास्तों को राजस्व रिकॉर्ड में चढ़ाना।
- गांव, ढाणी, मजरे व बाडियों को जोड़ने वाले पुराने रास्तों का रिकॉर्ड में अंकन।
- कदीमी रास्तों को संरक्षित करना और दस्तावेज़ीकरण करना।
- मौके पर बंद मिले रास्तों को दोबारा चालू कराना।
- नरेगा से बनी सड़कों को भी राजस्व अभिलेखों में दर्ज कराना।
- कृषि भूमि के बीच से गुजरने वाले सार्वजनिक रास्तों को भी रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा।