- राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने संगठन में निचले स्तर तक नई ऊर्जा भरने की रणनीति साझा की है।
- उन्होंने जालोर स्थित राजीव गांधी भवन में कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान कहा कि हर कार्यकर्ता का सम्मान अनिवार्य है।
- डोटासरा ने स्वीकार किया कि जनकल्याण योजनाओं के बावजूद संवादहीनता की वजह से कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई।
गौरव मित्तल की रिपोर्ट

राजस्थान में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा अब संगठन को ज़मीनी स्तर पर मज़बूत करने की ओर बढ़ चले हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि अब कार्यकर्ता के सम्मान के साथ कोई समझौता नहीं होगा, और जो लोग पार्टी में रहकर भीतर ही भीतर नुकसान पहुंचा रहे हैं, उनके लिए कांग्रेस में जगह नहीं रहेगी।
कार्यकर्ता ही असली ताकत, अपमान बर्दाश्त नहीं
राजीव गांधी भवन में हुए कार्यकर्ता सम्मेलन में डोटासरा ने कार्यकर्ताओं से संवाद करते हुए दो टूक कहा – “कोई भी नेता या पदाधिकारी हो, जब तक मैं प्रदेशाध्यक्ष हूं, किसी कार्यकर्ता का अपमान नहीं होने दूंगा।”
उन्होंने पार्टी की रीढ़ माने जाने वाले कार्यकर्ताओं को आश्वासन दिया कि हर स्तर पर उनकी इज्जत और भूमिका को प्राथमिकता मिलेगी।
जनकल्याण योजनाओं के बावजूद संवादहीनता से हारी कांग्रेस
डोटासरा ने अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए कहा कि पिछली सरकार ने शिक्षा, पेंशन, महिलाओं को मोबाइल जैसी योजनाएं दीं, लेकिन जनता से सीधा संवाद टूटने के कारण सत्ता हाथ से निकल गई।
उन्होंने इसे कांग्रेस की बड़ी चूक मानते हुए कहा – “अगर संवाद नहीं सुधारा गया, तो इतिहास हमें माफ नहीं करेगा।”

कार्यकर्ता और संगठन – दोनों का आपसी रिश्ता बेहद ज़रूरी
सम्मेलन के दौरान उन्होंने चेतावनी दी कि अगर कार्यकर्ता नाराज़ हुए, तो मंचों पर कुर्सियां जरूर लगेंगी, लेकिन वे खाली रह जाएंगी। उन्होंने सभी नेताओं से आह्वान किया कि वे कार्यकर्ताओं के बीच जाएं, संगठन को गतिशील बनाएं और पार्टी के भीतर संवाद को मज़बूत करें।
स्लीपर सेल नहीं, प्रतिबद्ध कार्यकर्ता चाहिए
डोटासरा ने संगठन के भीतर स्लीपर सेल की तरह काम कर रहे लोगों को बाहर करने की बात भी दोहराई।
उन्होंने कहा – “जो कांग्रेस में रहकर कांग्रेस को कमजोर कर रहे हैं, उन पर अब पार्टी की नजर है। ऐसा दोहरा रवैया अब और नहीं चलेगा।”
अधिकारों के साथ निभाएं कर्तव्य भी
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सिर्फ सत्ता की राजनीति नहीं करती बल्कि संविधान, विचारधारा और जनसेवा को केंद्र में रखती है।
“हमें अपने अधिकारों के साथ कर्तव्यों का भी निर्वहन करना होगा”, उन्होंने ये संदेश भी दिया कि आज की राजनीति में केवल सत्ता पाने की दौड़ नहीं, जिम्मेदारी का भी एहसास ज़रूरी है।