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जोधपुर मेडिकल रेजिडेंट डॉक्टर की आत्महत्या ने उठाए सिस्‍टम पर सवाल, डॉक्टर्स बोले– आज दो घंटे पेन डाउन, कल से पूरी हड़ताल

  • जोधपुर के डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज में 3rd ईयर रेजिडेंट डॉक्टर राकेश विश्नोई ने 13 जून को सल्फास खाकर आत्महत्या कर ली थी।
  • मौत से पहले राकेश ने एक वीडियो में एचओडी पर मानसिक प्रताड़ना और पैसों की मांग के गंभीर आरोप लगाए थे।
  • प्रशासन की चुप्पी और कार्रवाई में देरी के विरोध में बुधवार को रेजिडेंट डॉक्टर्स ने दो घंटे की प्रतीकात्मक पेन डाउन हड़ताल की।
Resident doctors protest against medical student suicide in Rajasthan

जोधपुर के डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज में 3rd ईयर के रेजिडेंट डॉक्टर राकेश विश्नोई की आत्महत्या के मामले ने अब एक नया मोड़ ले लिया है। बुधवार को कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टरों ने प्रतीकात्मक दो घंटे की पेन डाउन हड़ताल कर प्रशासन को चेताया। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर शाम तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो वे पूर्ण कार्य बहिष्कार पर जा सकते हैं।

वीडियो में लगाए थे गंभीर आरोप

डॉ. राकेश विश्नोई ने आत्महत्या से पहले एक वीडियो रिकॉर्ड किया था, जो अब सोशल मीडिया पर वायरल है। इस वीडियो में उन्होंने अपने विभागाध्यक्ष (एचओडी) डॉ. राजकुमार राठौड़ पर गंभीर आरोप लगाए हैं। राकेश ने कहा कि राठौड़ उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित करते थे, थीसिस सबमिशन को लेकर लगातार दबाव बना रहे थे, और परफॉर्मेंस बेहतर दिखाने के नाम पर पैसों की मांग करते थे। उन्होंने कहा, “अब और बर्दाश्त नहीं होता,” और यही कहते हुए सल्फास की गोलियां खा ली थीं।

जयपुर के एसएमएस अस्पताल में हुई मौत

13 जून को जोधपुर स्थित मथुरादास माथुर अस्पताल के हॉस्टल में राकेश ने सल्फास की गोलियां खा लीं थीं। हालत बिगड़ने पर उन्हें जयपुर के एसएमएस अस्पताल रेफर किया गया, लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। उनकी मौत से न केवल कॉलेज बल्कि प्रदेशभर में मेडिकल छात्रों में आक्रोश की लहर दौड़ गई है।

निष्पक्ष जांच की मांग पर अड़ा संगठन

रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के सचिव डॉ. रणजीत चौधरी ने बताया कि राकेश की मौत केवल एक व्यक्तिगत घटना नहीं है, बल्कि यह उस सिस्टम पर सवाल है जो छात्रों को खुलकर बोलने से रोकता है। उन्होंने कॉलेज प्रशासन के सामने चार मुख्य मांगें रखी हैं—जिनमें सबसे प्रमुख है आरोपी एचओडी को तत्काल प्रभाव से हटाकर स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की व्यवस्था करना। लेकिन, अब तक प्रशासन की ओर से कोई भी निर्णायक कदम नहीं उठाया गया है।

‘सिस्टम को झकझोरना है’

डॉक्टर रणजीत ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य मरीजों को परेशानी देना नहीं है, इसलिए अभी सिर्फ दो घंटे की प्रतीकात्मक हड़ताल की गई है। लेकिन यदि प्रशासन का रवैया यूं ही उदासीन रहा, तो आने वाले दिनों में रेजिडेंट्स पूर्ण कार्य बहिष्कार का रास्ता अपना सकते हैं।

राजस्थान सरकार और मेडिकल प्रशासन पर दबाव

इस संवेदनशील प्रकरण ने राजस्थान के मेडिकल सिस्टम को कठघरे में ला खड़ा किया है। रेजिडेंट्स की मांगें केवल न्याय तक सीमित नहीं हैं—वे एक ऐसी व्यवस्था चाहते हैं जहां हर छात्र बिना डर के अपने हक की बात कह सके। कॉलेज प्रबंधन की चुप्पी और देर से होती कार्रवाई ने छात्रों का भरोसा और अधिक डगमगाया है।

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