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रामासिया प्रकरण में न्यायालय ने कहा जब्बरसिंह और राजेन्द्रसिंह को जमानत नहीं दी जा सकती

पाली जिले के रामासिया गांव में ज़मीन विवाद के चलते एक बुजुर्ग नारायण सिंह पर धारदार हथियार से हमला कर उनकी आंख फोड़ने के मामले में और एससीएसटी एक्ट के मामले में कोर्ट ने मुख्य आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया है।

रामासिया प्रकरण के मुख्य आरोपी जब्बरसिंह और राजेन्द्रसिंह की जमानत याचिका खारिज, न्यायालय ने अपराध की गंभीरता को माना मुख्य आधार

पाली, राजस्थान: विशिष्ट न्यायालय, अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अ.नि.) प्रकरण, पाली के न्यायाधीश राकेश गोरा ने 30 जून 2025 को एक महत्वपूर्ण आदेश में रामासिया में हमला करने के मामले में आरोपी जब्बरसिंह और राजेन्द्रसिंह की जमानत याचिका को अस्वीकार कर दिया । दोनों 13 जून 2025 से न्यायिक हिरासत में हैं ।

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मामले का संक्षिप्त विवरण:
यह मामला पुलिस थाना सदर, जिला पाली में दर्ज प्रथम सूचना संख्या 127/2025 से संबंधित है । परिवादी पिन्टू मीणा ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि जब वे ग्राम रामासिया में मनोहरसिंह और नारायण सिंह के पैतृक मकान पर बाउंड्री वॉल का निर्माण कर रहे थे , तभी जब्बरसिंह, राजूसिंह, कुलदीपसिंह, गुलाबसिंह, पूरणसिंह, नरपतसिंह सहित 25-30 लोग गाड़ियों में आए । उनके हाथों में लाठियां और चाकू थे, और उन्होंने घर में घुसकर मारपीट व पथराव किया । इस दौरान नारायणसिंह, महेन्द्र सिंह और दिग्विजय सिंह को गंभीर चोटें आईं । आरोप है कि जब्बरसिंह ने चाकू से नारायण सिंह की आंख पर वार किया, जिससे उनकी एक आंख की रोशनी चली गई । मजदूरों के साथ भी मारपीट की गई और जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए अपमानित किया गया।

जमानत याचिका पर सुनवाई:
अभियुक्तों के अधिवक्ता भागीरथ सिंह राजपुरोहित ने तर्क दिया कि प्रार्थीगण निर्दोष हैं और उन्हें झूठे मामले में फंसाया गया है । उन्होंने यह भी कहा कि अन्य सह-अभियुक्तों को जमानत मिल चुकी है और प्रार्थीगण का मामला उनसे भिन्न प्रकृति का नहीं है । उन्होंने Arnesh Kumar vs. State of Bihar & Anr. सहित कई न्यायिक दृष्टांत भी पेश किए । उन्होंने यह भी बताया कि जब्बरसिंह का कोई पूर्व दोषसिद्धि रिकॉर्ड नहीं है ।

हालांकि, विशिष्ट लोक अभियोजक लादूराम मेवाड़ा और परिवादी के अधिवक्ता भागीरथ सिंह राजपुरोहित (रावलावास) ने जमानत का कड़ा विरोध किया । उन्होंने आरोप लगाया कि अभियुक्तों ने गंभीर मारपीट की और जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया । उन्होंने जब्बरसिंह को मुख्य अभियुक्त बताया और माणकचंद बनाम राजस्थान सरकार सहित अन्य न्यायिक दृष्टांत प्रस्तुत किए ।

न्यायालय का फैसला
न्यायालय ने दोनों पक्षों के तर्कों और केस डायरी का गहनता से अवलोकन किया । न्यायालय ने पाया कि जब्बरसिंह का आपराधिक रिकॉर्ड है, हालांकि राजेन्द्रसिंह का रिकॉर्ड शून्य है । न्यायालय ने यह भी पाया कि जब्बरसिंह द्वारा नारायणसिंह की आंख पर धारदार से किए गए वार से उसकी दृष्टि समाप्त हो गई, जो अपराध की गंभीर प्रकृति को दर्शाता है ।

न्यायालय ने प्रार्थीगण के अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत न्यायिक दृष्टांतों को वर्तमान मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर लागू नहीं माना । न्यायालय ने स्पष्ट किया कि सह-अभियुक्तों गोविन्द सिंह और चन्दनसिंह का मामला प्रार्थीगण से भिन्न था, क्योंकि वे प्रथम सूचना रिपोर्ट में नामजद नहीं थे और उनके विरुद्ध कोई पूर्व रिकॉर्ड नहीं था ।

न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि “अपराध की गंभीरता एवं उसके सम्पूर्ण घटनाक्रम को देखते हुये प्रकरण के गुणावगुण पर टिप्पणी किये बिना अभियुक्तगण को जमानत का लाभ दिया जाना न्यायोचित प्रतीत नहीं होता है” ।

इसी के साथ, जब्बरसिंह और राजेन्द्रसिंह की जमानत याचिका खारिज कर दी गई है।

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