- कांग्रेस भवन उद्घाटन विवाद: जालोर में कांग्रेस कार्यालय उद्घाटन के दौरान वरिष्ठ दलित महिला नेत्री के साथ अपमानजनक व्यवहार।
- राजनैतिक मर्यादा पर सवाल: इस घटना ने सियासी मर्यादाओं और महिलाओं के प्रति सम्मान पर गंभीर प्रश्न खड़े किए।
- प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अपमान: कुर्सियों की कमी के कारण वरिष्ठ नेत्री को पूरे कार्यक्रम में खड़े रहना पड़ा।
खरी-खरी: गणपत सिंह मांडोली और गौरव मित्तल की रिपोर्ट

फर्स्ट राजस्थान-सिरोही/जालोर: राजनीति में पिछले कुछ समय से सियासी व्यवहार में काफी गिरावट देखने को मिली है। सियासी व्यवहार के गिरते स्तर को लेकर पुराने संजीदा लोग अक्सर चिंता भी व्यक्त करते रहते हैं।
पिछले दिनों जालोर में नवीन कांग्रेस कार्यालय राजीव गांधी भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में जो दृश्य देखने को मिला, उससे न केवल राजनैतिक मर्यादाओं पर प्रश्नचिह्न लग रहा है, बल्कि यह सोचने पर भी मजबूर कर रहा है कि हमारे समाज और राजनीति में महिलाओं, खासकर दलित वर्ग की संघर्षशील महिलाओं के लिए सम्मान आज भी महज एक औपचारिकता है।
दरअसल, सिरोही जिले की वरिष्ठ महिला नेत्री, जो सिरोही कांग्रेस की एक दशक से भी ज्यादा समय तक जिलाध्यक्ष और एसटी आरक्षित सीट से विधायक भी रही हैं, उस दलित महिला नेत्री को उस समय अपमान सहना पड़ा जब नए भवन के उद्घाटन के बाद कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस चल रही थी। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, लोकसभा प्रत्याशी वैभव गहलोत, अभाव अभियोग के पूर्व अध्यक्ष पुखराज पाराशर, जालोर कांग्रेस जिलाध्यक्ष भंवरलाल मेघवाल, कांग्रेस के दिग्गज नेता संयम लोढ़ा, पूर्व मंत्री सुखराम बिश्नोई, जालोर से विधानसभा प्रत्याशी रही रमिला मेघवाल, आहोर से प्रत्याशी रही सरोज चौधरी, संध्या चौधरी समेत कई लोगों ने स्थान ग्रहण कर रखा था।
नेताओं में कुर्सी की होड़, वरिष्ठ महिला नेत्री का अपमान?
पूरी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान महिला नेत्री कुर्सी पर बैठे नेताओं के पीछे खड़ी रहीं, लेकिन आयोजकों समेत किसी नेता-कार्यकर्ता ने कुर्सी देने और उन्हें बिठाने की कोई व्यवस्था करने की जहमत नहीं उठाई।
अगर पूरी घटना पर गौर करें, तो प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान नेताओं के पास बैठने की होड़ में कुर्सियां भर चुकी थीं। कुछ कुर्सियों पर तो वे लोग बैठे थे, जो अनुभव और योगदान के मामले में इस महिला नेत्री से काफी कनिष्ठ हैं।

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के बयान पर अपमान-सम्मान पर चर्चा जारी
कांग्रेस के नवीन भवन के उद्घाटन के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ द्वारा एक महिला को “एक्सपोर्ट क्वालिटी” बताने वाले बयान पर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भाजपा को घेरने का प्रयास किया। इस दौरान उन्होंने भाजपा पर महिला अपमान के आरोप मढ़े और महिला सशक्तिकरण से लेकर अपमान-सम्मान तक की बातें कहीं।
हालांकि, इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ही कांग्रेस की एक वरिष्ठ महिला नेत्री करीब पौने घंटे तक खड़ी रहीं। ऐसे में, भाजपा पर महिलाओं के अपमान का आरोप लगाने वाली कांग्रेस खुद उसी वक्त एक वरिष्ठ महिला नेत्री का अपमान कर बैठी।
- यह केवल एक महिला दलित नेत्री का नहीं, बल्कि उस संघर्षशील वर्ग का अपमान है जो दशकों से राजनीति में अपने लिए सम्मानजनक स्थान बनाने के लिए संघर्ष कर रहा है।
- एक ऐसी महिला नेत्री, जिसने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत पंचायती राज चुनाव के ग्राम पंचायत के वार्ड सदस्य से की और फिर सरपंच, पंचायत समिति सदस्य, प्रधान, कांग्रेस जिलाध्यक्ष, और आबू-पिंडवाड़ा विधायक तक का सफर तय किया, के साथ ऐसा रुखा बर्ताव सियासी व्यवहार में गिरावट को दर्शाता है।
- क्या यही आधुनिक राजनीति का चेहरा है? क्या यह केवल आयोजकों की भूल थी, या फिर हमारी सोच में गहराई तक बसा वह पूर्वाग्रह, जो महिला और दलित नेतृत्व को सम्मान देने में चूक जाता है?
- ऐसे आयोजनों को आत्मप्रशंसा का अवसर मानने वालों को समझना चाहिए कि किसी भी राजनीतिक दल की असली ताकत उसके वे कार्यकर्ता होते हैं, जिन्होंने जमीन से उठकर पार्टी को सींचने का काम किया है। जब ऐसे नेताओं को मंच पर सम्मान से वंचित कर दिया जाता है, तो यह केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरी पार्टी की छवि पर असर डालता है।