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रावल ब्राह्मण समाज का पंचम स्नेह मिलन कार्यक्रम, संयम लोढ़ा बोले- परोपकार ही धर्म है

  • रावल ब्राह्मण समाज ने परोपकार को समाज का आधार बताते हुए 5वें स्नेह मिलन कार्यक्रम में इसे प्रमुखता से रेखांकित किया।
  • समारोह में होनहार विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया गया, साथ ही बालिकाओं द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी हुईं।
  • संयम लोढ़ा ने परिवार, शिक्षा और गुरु के महत्व पर प्रकाश डालते हुए जीवन में मार्गदर्शन की भूमिका को रेखांकित किया।
"Raval Brahmin Society honors students during cultural program in Sirohi"

मंडवारिया (सिरोही): रावल ब्राह्मण समाज झोरा परगना सेवा समिति द्वारा समाज भवन में आयोजित पंचम स्नेह मिलन और विद्यार्थी सम्मान समारोह एक प्रेरणादायक आयोजन बन गया। इस कार्यक्रम में परोपकार, शिक्षा और नारी सम्मान जैसे विषयों पर चर्चा की गई और समाज के योगदान को रेखांकित किया गया।

समारोह में मुख्य वक्ता संयम लोढ़ा ने कहा, “परोपकार ही धर्म है। समाज की सेवा और सहयोग से ही हमारी गौरवशाली परंपराएं सशक्त होती हैं।” उन्होंने गौसेवा में समाज की भागीदारी को सराहा और सनातन धर्म की स्त्री शक्ति के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “नारी का सम्मान जिस घर में होगा, वह घर हमेशा सुख-समृद्धि से भरा रहेगा।”

संयम लोढ़ा ने गुरु के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि मानव जीवन की पहली पाठशाला परिवार होती है। “माता-पिता बच्चों को शिक्षा की दिशा दिखाते हैं, लेकिन सही मार्गदर्शन के लिए योग्य गुरु की आवश्यकता होती है। स्वामी विवेकानंद और अरस्तू जैसे महान व्यक्तित्वों ने गुरु कृपा से ही अपनी ऊंचाईयों को पाया,” उन्होंने कहा। उन्होंने तुलसीदासजी की चौपाई का संदर्भ देते हुए हनुमानजी को आदर्श गुरु मानने की बात भी कही।

विद्यार्थियों और बालिकाओं का हुआ सम्मान

समारोह में बालिकाओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए, जो समाज की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं। इसके अलावा, होनहार विद्यार्थियों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का संचालन भरत कुमार रावल ने किया। इस अवसर पर अवधेश चैतन्य महाराज, पूरण पूरी महाराज, किशोर रावल, दिनेश रावल, अर्जुन रावल, शिक्षाविद रमेश रावल, समाजसेवी दलपत रावल, गोयली की पूर्व सरपंच मीरा देवी रावल और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

समाजसेवा की प्रेरणा

रावल ब्राह्मण समाज ने इस आयोजन के जरिए यह संदेश दिया कि शिक्षा और परोपकार के जरिए समाज को सशक्त बनाया जा सकता है। समाज के योगदान और दान पर आधारित कार्यों को प्रेरणादायक बताया गया।

इस आयोजन ने न केवल समाज को एकजुट किया बल्कि नारी शक्ति और गुरु की महिमा को रेखांकित करते हुए परोपकार और शिक्षा का संदेश भी दिया।

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