39 लाख रुपए के गबन के आरोपी इंस्पेक्टर पर सिरोही एसपी की मेहरबानी, जांच पूरी होने से पहले ही बनाया थानाधिकारी
39 लाख रुपए के गबन के आरोपी इंस्पेक्टर पर सिरोही एसपी की मेहरबानी, जांच पूरी होने से पहले ही बनाया थानाधिकारी

First rajasthan @ सिरोही
सरकार के राजकोष को नुकसान पहुंचाना सरकारी अधिकारियों के लिए तो केवल बाएं हाथ का खेल है, हो भी क्यों न, अगर कोई मामला उजागर हो भी जाएगा तो उनकी नौकरी पर क्या फर्क पड़ने वाला है, बस बदलेगा तो केवल स्थान ही, कुछ ऐसी ही शिथिलता पुलिस विभाग में नजर आ रही है। दरअसल जिस पुलिस इंस्पेक्टर पर 39 लाख रुपये डकारने का मुकदमा दर्ज है, उसी को सिरोही एसपी ने हाल ही में आबूरोड सदर थाने की जिम्मेदारी सौंप दी है। जबकि इस मामले की अभी जांच भी पूरी नहीं हुई है। ऐसे में गबन करने के बाद भी पुलिस इंस्पेक्टर के हौसले बुलंद है। हम बात कर रहे है हाल ही में आबूरोड सदर थानाधिकारी का पदभार संभालने वाले आनंदकुमार की, जिनके बाड़मेर में बतौर ट्रैफिक इंचार्ज रहते हुए 3 साल में 39 लाख रुपये गबन करने का मामला दर्ज है और वहां पुलिस उपाधीक्षक की ओर से मामला दर्ज करवाया गया था। उस प्रकरण के बाद वहां से आनन्द कुमार को हटाया और सिरोही भेज दिया,लेकिन यहां एसपी ने मेहरबानी दिखाते हुए थानाधिकारी के रूप में आरोपी को रिवार्ड दे दिया।
यह था मामला
ट्रैफिक पुलिस चौकी बाड़मेर में तीन साल में चालान के 39 लाख 34 हजार 990 रुपए ट्रैफिक इंचार्ज व पुलिसकर्मी डकार गए। इसकी किसी को हवा तक नहीं लगने दी। जांच रिपोर्ट में खुलासे के बाद जांच अधिकारी डीएसपी (एससी,एसटी सेल) मानाराम गर्ग की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस थाना कोतवाली में ट्रैफिक इंचार्ज आनंदकुमार समेत 14 पुलिसकर्मियों के खिलाफ 19 मई, 2019 को धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया था।

1 अप्रैल 2016 से 31 दिसंबर 2018 तक ट्रैफिक चौकी बाड़मेर में आवंटित एमवी एक्ट बुकों की राशि राजकोष में जमा नहीं हुई। इस अवधि में ट्रैफिक इंचार्ज रहे आनंद कुमार, शिवलालसिंह, इंद्रचंद मीणा, एएसआई गजेसिंह, चुतराराम, भलाराम, कलाराम, हैड कांस्टेबल गोपालसिंह, धूड़ाराम, जोगराजसिंह, उगमसिंह, कांस्टेबल जगमालसिंह, भंवराराम व इंदा देवी के खिलाफ नामजद मामला दर्ज करवाया है। ट्रैफिक पुलिस चौकी में चालान राशि में हेराफेरी का ऑडिट रिपोर्ट में खुलासे के बाद तत्कालीन एसपी राशि डोगरा डूडी ने डीएसपी मानाराम गर्ग एससी,एसटी सेल बाड़मेर को जांच सौंपी थी।

किसी भी आईओ ने जमा नहीं करवाई चालान की राशि
जांच रिपोर्ट में ट्रैफिक इंचार्ज समेत 14 पुलिसकर्मियों को नोटिस जारी कर बयान दर्ज किए गए थे। कांस्टेबल भंवराराम ने अपने बयानाें में जांच अधिकारी को बताया कि उसके पास किसी भी आईओ ने जुर्माना राशि जमा नहीं करवाई। जबकि रिकार्ड का अवलोकन करने पर ट्रैफिक इंचार्ज शिवलालसिंह व हैड कांस्टेबल धूड़ाराम की बुकों के अंतिम पृष्ठ पर भंवराराम द्वारा राशि प्राप्त करने का उल्लेख है। इसकी गवाही सभी आईओ ने भी दी। इससे साफ जाहिर होता है कि भंवराराम ने झूठी कहानी गढ़ी है। जबकि ट्रैफिक पुलिस में चालान राशि जमा करवाने से लेकर रसीद बुके इश्यू करने का काम कांस्टेबल भंवराराम, जगमालसिंह ही देखते थे।
गबन को दबाने फर्जी रिकॉर्ड किया तैयार
चालान राशि गबन प्रकरण में ट्रैफिक इंचार्ज आनंदकुमार समेत 14 पुलिसकर्मियों की कारगुजारी सामने आई है। वर्ष 2016 से 2018 तक चालान राशि राजकोष में जमा नहीं करवाई गई। जबकि रसीद बुकों व संधारित रजिस्टर में अलग-अलग समय में राशि जमा करवाने का उल्लेख है। चौंकाने वाली बात यह है कि ट्रैफिक इंचार्ज व पुलिसकर्मियों की मिलीभगत से चालान राशि 39 लाख 34 हजार 990 रुपए डकार गए और किसी को पता ही नहीं लगने दिया। इस दौरान कई बार ऑडिट भी हुई और पुलिस अफसरों ने कई बार निरीक्षण भी किया। बावजूद इसके ट्रैफिक इंचार्ज रहे अफसरों ने मामले को दबाए रखा। पुलिस चौकी में कार्यरत कांस्टेबल जगमालसिंह की मृत्यु के बाद रिकार्ड में हेराफेरी करते हुए रजिस्टर व रसीद बुके गायब कर दी। इसी तरह बीते तीन साल के रिकॉर्ड की जांच में वित्तीय अनियमितताएं सामने आई है।

जांच में सामने आई गंभीर अनियमितताएं
ट्रैफिक पुलिस चौकी में चालान राशि संधारण रजिस्ट्रर, रसीद बुकें समेत रिकॉर्ड में हेराफेरी करने की पुष्टि हुई है। जांच रिपोर्ट के अनुसार रोजनामचा में एमवी एक्ट चालान के संबंध में कोई इंद्राज नहीं है। यहां तक कि प्रभारी अधिकारी के उस पर हस्ताक्षर तक नहीं है। प्राप्ति रजिस्ट्रर व पत्र प्रेषण रजिस्टर में भी इंद्राज नहीं है। कार्यालय में कैश बुक, वाउचर बुक, रोड बुक का संधारण तक नहीं मिला। आईओए ने चालान बुक इश्यू करने व राशि जमा करवाने के संबंध में संधारित करने की बात कही गई, जबकि उक्त रजिस्टर गायब मिला। किसी भी ट्रैफिक इंचार्ज ने कार्मिकों के कार्य निर्धारण के आदेश तक जारी नहीं किए।