14 दिन की क्वारेंटाइन पूरा होने के बावजूद जालोर-सिरोही जिले के हजारों लोग घर जाने कर रहे इंतजार

14 दिन की क्वारेंटाइन पूरा होने के बावजूद जालोर-सिरोही जिले के हजारों लोग घर जाने कर रहे इंतजार

14 दिन की क्वारेंटाइन पूरा होने के बावजूद जालोर-सिरोही जिले के हजारों लोग घर जाने कर रहे इंतजार
14 दिन की क्वारेंटाइन पूरा होने के बावजूद जालोर-सिरोही जिले के हजारों लोग घर जाने कर रहे इंतजार

क्वारेंटाइन अवधि पूरी होने के बाद भी हमें घर नहीं भेज रहे
भीनमाल। देश में फैल रहे कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर देश में लॉक डाउन किया गया था। इस दौरान गुजरात, महाराष्ट्रा, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटका, तेलांगना, गोवा, पांडिचेरी, दमन द्वीप, आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल व दिल्ली में जालोर-सिरोही के प्रवासी भी फंस गए थे। राजस्थान के जालोर और सिरोही जिले के लाखों लोग शामिल हैं। लंबे इंतजार के बाद भी जालोर और सिरोही के लोगों की आवाज कोई सुनने को तैयार नहीं है। ऐसे में प्रवासियों की समस्या को समस्या को लेकर प्रवासी राजस्थानी फ्रेंड्स फाउण्डेशन के अध्यक्ष श्रवणसिंह राठौड़ दासपां ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर देश के विभिन्न राज्यों में फंसे जालोर-सिरोही के लाखों प्रवासियों को अपने गांव छोडऩे की मांग की। उन्होंने पत्र में लिखा कि जालोर-सिरोही जिले के लाखों युवा देश के गुजरात, महाराष्ट्रा, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटका, तेलांगना, गोवा, पांडिचेरी, दमन द्वीप, आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल व दिल्ली में व्यवसाय व निजी नौकरी में है। राठौड़ ने पत्र में लिखा है कि अचानक लॉकडाउन लागू होने से लाखों प्रवासी जहां व्यवसायी या नौकरी करते हैं, वहां पर फंस गए है। ऐसे में बडी संख्या में लोग जो लॉकडाउन के प्रथम चरण के दौरान कार्यस्थल से रवाना हो गए थे। लेकिन बीच रास्तों में दूसरे राज्यों में लॉकडाउन की सख्ती की वजह से उन्हे जबरन रोक दिया गया। ऐसे प्रवासियों कहा कहना है हमारी क्वारेंटाइन अवधि पूरी होने के बाद भी हमें घर नहीं भेज रहे है।
35 हजार लोगों को अपने गांव आने का इंतजार
राठौड़ ने पत्र में लिखा है कि प्रथम चरण में वे रवाना हो गए थे, लेकिन दूसरे राज्यों में लॉकडाउन सख्ती से उन्हे जबरन रोक दिया है। जालोर जिले के ऐसे प्रवासियों की संख्या 35 हजार से अधिक होगी। जो बीच रास्ते में दूसरे राज्यों में अस्थाई कैम्पों में क्वारेंटाइन कर रखा है। उनके 14 दिन की निर्धारित क्वारेंटाइन अवधि भी पूरी हो चुकी है। इस दौरान वे पूरी तरीके से संक्रमण मुक्त है। बावजूद इसके उनको उन्हें घर तक जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है।
खाने का बना सकंट
राठौड ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा कि प्रवासियों के लिए वहां खाने का संकट बना हुआ है। वहां रहने और खाने के सही तरीके से व्यवस्था भी नहीं है। ऐसे में छोटे बच्चे भी परेशान हो रहे है। साथ ही उनको अपने घर की भी चिंता सता रही है। कुछ दिन पूर्व व्यवस्था नहीं होने से नासमझी की वजह से मुंबई के बांद्रा में हजारों लोगों भीड जमा हुई थी। फिर दूसरी जगहों पर भी हो सकती है। ऐसे में उनकी समस्या का समाधान करने की मांग की।
अपील का असर नहीं, परिवार की चिंता
उन्होंने पत्र में लिखा है कि आपकी बार-बार की जाने वाली अपीलों का इन पर कोई असर नहीं पड रहा है। क्योंकिए इन्हें वहां खुद की चिंता होने के साथ गांव में बैठे परिवार की भी चिंता सता रही है। ऐसे में आप तुरंत प्रभाव से विभिन्न राज्यों के बीच आपसी समन्वय करके प्रवासी राजस्थानियों को सकुशल घर पहुंचाने की व्यवस्था करवाने का कष्ट करावें।
उत्तराखंड फंसे प्रवासियों को भेजा था गुजरात
राठौड ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि पिछले दिनों अखबार की खबरों से पता चला था कि उत्तराखंड में तीर्थ यात्रा में गए हुए गुजरात के लोगों के लिए देश के गृहमंत्री ने 25 लग्जरी बसें भिजवाकर सभी को सकुशल गुजरात लाया गया, ऐसी ही व्यवस्था प्रवासी राजस्थानियों के लिए भी करवाने की मांग की। उन्होंने लिखा है कि प्रवासियों को चिंहित करके गांव छुडवाने की व्यवस्था करवाने की मांग की।