साहित्यकार दिनेश्वर माली के मनरेगा जाने से अन्य युवा हुए प्रेरित, कहा - काम कोई छोटा बड़ा नहीं
साहित्यकार दिनेश्वर माली के मनरेगा जाने से अन्य युवा हुए प्रेरित, कहा - काम कोई छोटा बड़ा नहीं
फर्स्ट राजस्थान @ सिरोही।
कहते है कि इस इंसान को स्थितियों के अनुसार ढलना चाहिए और हालात के अनुसार बदलना चाहिए ऐसा ही नजारा कोरोना के संकट काल में भी देखने को मिला।
गांव रोहिड़ा में मुंबई अहमदाबाद के साथ अन्य शहरो के प्रवासी युवा वर्तमान के कोई काम न होने की वजह से मनरेगा में परिश्रम करके अन्य लोगो को भी मेहनत करने की सिख दे रहे है। काम कोई भी छोटा या बडा नही होता है जिंदगी में सदैव मेहनत करते रहना चाहिए।
गौरतलब है कि फर्स्ट राजस्थान ने पूर्व में साहित्यकार दिनेश्वर माली के मनरेगा जाने को लेकर शीर्षक "गीत और कहानियां लिखने वाला साहित्यकार खुद कोरोना की कड़वी कहानी बना, मुंबई छोड़ गांव में कर रहा मजदूरी" से खबर प्रकाशित की थी। जिसके बाद इस खबर को देखकर कई युवाओं एवं गांव वालों को प्रेरणा मिली। दिनेश्वर माली जैसी शख्सियत को परिश्रम करता देख दूसरे युवा भी प्रेरित हो रहे है कि मुम्बई का एक मशहूर कवि लेखक जब कर्म कर रहा है तो हमे भी करना चाहिए।
इन प्रवासी युवाओ में किशन रबारी, मुकेश परमार, भरत माली, रामलाल परमार, भरत सुंदेशा, किशन लूणी, रामाराम रबारी, शंकर रबारी, पोसाराम रबारी आदि के साथ अन्य प्रवासी युवा जो श्रम दान करके कोरोना को हराने का प्रयास कर रहे है जो पहले मुम्बई अहमदाबाद में खुद का कारोबार एवं नौकरी करते थे।
अभी कोई काम न होने की वजह से कुछ प्रवासियों ने गांव में आकर खेती करना शुरू किया। कुछ टेक्टर चला रहे है तो कुछ युवा मनरेगा में परिश्रम करके एक नया सन्देश दे रहे है।
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