- जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।
- उन्हें अनुच्छेद 370, नोटबंदी और चुनावी बॉन्ड जैसे ऐतिहासिक फैसलों के लिए जाना जाता है।
- उन्होंने लगभग 300 फैसले लिखे और 700 से अधिक पीठों में शामिल रहे।

देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने शपथ ली है। बुधवार को राष्ट्रपति भवन के गणतंत्र मंडप में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई। जस्टिस गवई ने जस्टिस संजीव खन्ना की जगह ली, जो मंगलवार को 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त हुए।
महाराष्ट्र के अमरावती में 24 नवंबर 1960 को जन्मे जस्टिस गवई भारतीय न्यायपालिका का नेतृत्व करने वाले दूसरे दलित CJI हैं। 2019 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने जस्टिस गवई का कार्यकाल 23 नवंबर 2025 तक रहेगा।
अनुच्छेद 370 और नोटबंदी जैसे बड़े फैसलों में भूमिका
जस्टिस गवई कई संवैधानिक पीठों का हिस्सा रहे हैं, जिन्होंने अनुच्छेद 370 को हटाने, चुनावी बॉन्ड योजना, और नोटबंदी जैसे ऐतिहासिक मामलों पर निर्णय सुनाए। उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट की उस टिप्पणी पर रोक लगाई थी, जिसमें कहा गया था कि महिला के साथ दुर्व्यवहार को बलात्कार का प्रयास नहीं माना जाएगा।
संविधान और न्याय के प्रति प्रतिबद्धता
जस्टिस गवई ने अपने कार्यकाल में लगभग 300 फैसले लिखे और 700 से अधिक पीठों में शामिल रहे। उनके निर्णय संवैधानिक अधिकारों, पर्यावरण संरक्षण, और सामाजिक न्याय जैसे विषयों पर केंद्रित रहे हैं।
उन्होंने राज्यों को अनुसूचित जातियों में उप-श्रेणियां बनाने की अनुमति देकर सामाजिक संतुलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया।
‘बुलडोजर न्याय’ पर निष्पक्षता का संदेश
जस्टिस गवई ने बिना नोटिस के विध्वंस पर रोक लगाने का फैसला सुनाया, जिसे ‘बुलडोजर न्याय’ के खिलाफ निष्पक्षता की पहल माना गया। हाल ही में, उन्होंने कहा, “संविधान सर्वोच्च है,” जो उनके न्यायिक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर उन्हें बधाई देते हुए कहा, “जस्टिस गवई का संवैधानिक मामलों में गहरा ज्ञान हमारी न्याय प्रणाली को और मजबूत करेगा।”