- रणथंभौर की चर्चित बाघिन टी-84 एरोहेड की ब्रेन ट्यूमर के चलते मौत हुई।
- बाघिन ने अपनी बेटी कनकटी की विदाई के बाद अंतिम सांस ली।
- बाघिन एरोहेड ने चार बार कुल 10 शावकों को जन्म दिया था।

रणथंभौर टाइगर रिजर्व से गुरुवार को मायूस करने वाली खबर आई। जहां एक ओर मशहूर बाघिन टी-84 एरोहेड ने आखिरी सांस ली, वहीं उसी दिन उसकी बेटी कनकटी को अभ्यारण्य से विदा कर मुकुंदरा टाइगर रिजर्व भेज दिया गया। दोनों घटनाएं महज कुछ घंटों के भीतर हुईं और जैसे किसी पुरानी विरासत ने अपने चक्र को पूर्ण कर लिया हो।
टी-84, जिसे ‘एरोहेड’ के नाम से जाना जाता था, बीते कुछ महीनों से ब्रेन ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारी से लड़ रही थी। कमजोरी के चलते वह बेहद थकी-थकी सी रहती थी और अब शिकार करने की क्षमता भी खो चुकी थी। उसका शव रणथंभौर के जोन नंबर-2 में मिला, जहां वह अक्सर नजर आती थी। वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और नियमानुसार पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी की।
रणथंभौर की ‘मछली वंश’ की वारिस
बाघिन एरोहेड का जीवन सिर्फ एक शिकारी का नहीं, बल्कि एक विरासत की आखिरी कड़ी का प्रतीक था। वह रणथंभौर की सबसे प्रसिद्ध बाघिन मछली की नातिन थी, और उसी की तरह वह भी राजबाग झील, नाल घाटी और जोगी महल के आसपास डेरा जमाए रखती थी। खास बात यह कि कुछ दिन पहले ही उसने अपनी नानी मछली की तरह पद्मला तालाब में एक मगरमच्छ का शिकार भी किया था—जो उसकी आखिरी लड़ाई साबित हुई।
11 साल की उम्र पार कर चुकी एरोहेड अब तक 10 शावकों को जन्म दे चुकी थी। साल 2019 में उसने टी-124 रिद्धि और टी-125 सिद्धि को जन्म दिया, जो अब वयस्क बाघिन बन चुकी हैं। उसके बाद 2021 में तीन शावकों को जन्म दिया गया, लेकिन वे अधिक समय तक जीवित नहीं रह सके।
शावकों से उपजी रणथंभौर में दहशत
बाघिन की आखिरी संतानें—RBT-2507 कनकटी, RBT-2508 और RBT-2509—पिछले कुछ समय से रणथंभौर में मानव-वन्यजीव संघर्ष की वजह बन गई थीं। तीनों ने मिलकर बीते महीनों में तीन लोगों की जान ली, जिससे वन विभाग को कठोर कदम उठाने पड़े।
नर शावक 2509 को कैलादेवी भेजा गया, जबकि 2508 को रामगढ़ विषधारी। आज ही मादा शावक कनकटी को मुकुंदरा टाइगर रिजर्व शिफ्ट किया गया। उसी के कुछ घंटों बाद खबर आई कि उसकी मां एरोहेड का निधन हो गया है।
रणथंभौर की धरोहर कही जाने वाली इस बाघिन की मौत ने न केवल वन्यजीव प्रेमियों को भावुक किया है, बल्कि यह संकेत भी दिया है कि जंगलों की कहानियां सिर्फ जीवन की नहीं, विरासत और विदाई की भी होती हैं।