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सेहरा सजा पर बारात छोड़ लुटेरों से लडऩे निकले सवाईसिंह

  • क्षात्र धर्म की रक्षार्थ जान की बाजी लगाने वाले जूंझार बावसी

गणपत सिंह मांडोली
सिरोही. महल में मंगल उत्सव चल रहा हो और केसरिया साफे पर मोड बांधकर दूल्हा तैयार हो तो प्राथमिकता विवाह को ही ही जाती है, लेकिन धर्म की रक्षा के लिए जन्म लेने वाले बांकुरे अपनी जिम्मेदारियों से मुंह नहीं मोड़ते। हम बात कर रहे हैं रूखाड़ा के जूंझार बावसी कुंवर सवाईसिंह देवड़ा की। सिर पर सेहरा सजा होने के बावजूद वे लुटेरों से लडऩे निकल पड़े। लुटेरों के कब्जे से गांव की गायों का मुक्त करवा कर ले आए, लेकिन धोखे से हुए एक वार में वे भी वीरगति को प्राप्त हो गए।

विवाह एक तरफ रख गायों की रक्षार्थ रवाना हुए

बात वि.सं.1871 में चैत्र वदी पंचमी की है। रूखड़ा के रावले में मंगल उत्सव चल रहा था। कुंवर सवाईसिंह की बारात रवाना होने वाली थी और सब लोग इसकी तैयारियों में लगे हुए थे। दूल्हे के सिर पर केसरिया साफा और सेहरा सजा हुआ था। बारात प्रस्थान करने की तैयारी के दौरान ही कुंवर को गांव में लुटेरों के हमले का समाचार मिला। इस पर उन्होंने अपने विवाह को एक तरफ रखा और गायों की रक्षार्थ रवाना हो गए।

गायों को गांव लेकर नहीं लाए तब तक सिर नहीं गिरा

ग्रामीण बताते हैं कि कुंवर ने अपने अदम्य साहस व वीरता से लुटेरों को मार गिराया। उनके कब्जे से सभी गायों को छुड़ा ले आए, लेकिन एक लुटेरे ने पीछे से उन पर वार कर दिया। उनका सिर कट गया, लेकिन लुटेरों से वापस लाई गई गायों को जब तक गांव नहीं पहुंचा दिया तब तक उनका सिर धड़ पर ही रहा। रावले में नीम के नीचे उनका सिर गिरा और गांव के चौहटे पर उनके धड़ ने विश्राम कर लिया।

रूखाड़ा में दो दिवसीय महोत्सव 9 से

सार्दुलसिंह देवड़ा रूखाड़ा ने बताया कि गांव में दो दिवसीय महोत्सव आयोजित किया जाएगा। इस दौरान वड़लावाला मामाजी बावसी जंजराव खींची की नवीन अश्वारूढ़ प्रतिमाओं की स्थापना की जाएगी। साथ ही जूंझार बावसी कुंवर सवाईसिंह देवड़ा के स्थापना महोत्सव की वर्षगांठ भी मनाई जाएगी। महोत्सव के दौरान 9 मई को भजन-जागरण किया जाएगा। वहीं, 10 मई को मामाजी मंदिर व जूंझार बावसी मंदिर में घोड़ी स्थापना की जाएगी। इस उपलक्ष्य में गांव में वरघोड़ा निकाला जाएगा। इसके बाद महाप्रसादी वितरित की जाएगी।

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